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Chhath Puja 2023: इस बार आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर तक चलेगा. ऐसे में नहाय-खाय के साथ शुर होने वाला सूर्य की उपासना का यह त्योहार 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो जाएगा. आपको बता दें कि आस्था के इस महापर्व में छठ व्रतियां भगवान आदित्य का आशीर्वाद पाने के लिए कठिन व्रत रखती हैं.
ऐसे में नहाय-खाय, खरना, डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अगले दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह पर्व संपन्न होता है. इस पर्व को अलग-अलग जगह पर सूर्य षष्ठी, छठ, छठी मईया का पर्व, छठ पर्व, डाला पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. भगवान आदित्य यानी सूर्य को समर्पित इस त्योहार के जरिए लोग उनसे आशीर्वाद के तौर पर अपने जैसा तेज मांगते हैं. इसके साथ ही लोग भगवान सूर्य से उत्तम संतान, स्वास्थ्य, समृद्धि की कामना करते हैं.
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इस महापर्व पर छठ व्रतियां 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं जो खरना की रात से ही शुरू हो जाता है. ऐसे में नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस त्यौहार के पहले दिन छठ व्रतियां साठी का चावल, चने की दाल और घीया यानी कद्दू की सब्जी खाती हैं. वह भी सेंधा नमक में बनी हुई. फिर अगले दिन यानी खरना को पूरे दिन सूर्य की अराधना के बाद रात को व्रतियां गन्ने के रस और साठी के चावल से बनी खीर का भोग लगाती हैं और इसी का प्रसाद ग्रहण करती हैं. यहां से उनका निर्जला व्रत शुरू हो जाता है जो पर्व के समापन तक चलता है.
तीसरे दिन डाला सजाया जाता है. जिसमें तमाम तरह के फल, गन्ना, अदरक, ठेकुआ, आरता पत्ता और अन्य पूजा सामग्री के साथ डाला लेकर घाट पर शाम को जाया जाता है और यहां छठ व्रतियां डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके ठीक अगली सुबह यानी चौथे दिन भगवान आदित्य को ठीक इसी तरह उगते समय अर्घ्य दिया जाता है. यह एक मात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें पहले डूबते और फिर उगते सूर्य की अराधान की जाती है.