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Keelak Strotam: शारदीय नवरात्रि का त्योहार इस बार 15 अक्टूबर से शुरू हो गया है. इस पर्व की शुरुआत से ही भक्त मां की कृपा पाने के लिए नवरात्रि व्रत रखते हैं. ऐसे में इस त्योहार के नौ दिनों तक मां दुर्गा के सप्तशती का पाठ किया जाता है. ऐसे में इस सप्तशती पाठ में आने वाले कीलक, कवच और अर्गला स्त्रोत का पाठ किया जाता है. ऐसे में आपको बता दें कि इस पूजा के दौरान कीलक स्त्रोत का पाठ क्यों करना चाहिए और इसका क्या महत्व है.
हालांकि सप्तशती के पाठ के बारे में कहा जाता है कि यह सत्, चित्त और आनंद को देने वाला होता है. ऐसे में केवल इस पाठ मात्र से ही सभी तरह की साधाना पूरी की जा सकती है. इसके जरिए ही सिद्धि की भी प्राप्ति हो सकती है. ऐसे में कीलक स्त्रोत का पाठकर आप मां की विशेष कृपा पा सकते हैं. यह स्त्रोत ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, सम्पत्ति, शत्रुनाश तथा परम मोक्ष को देने वाला होता है.
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कीलक को तंत्र का या किसी भी तरह के मंत्र का नाश करने वाला है जो आपके अनिष्ठ करने के लिए किया गया है. ऐसे में वशीकरण, सम्मोहन और मारण इन सभी चीजों से त्रस्त हैं तो इसके काट के लिए आपको अर्गला स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.
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वैसे भी देवी के मंत्र का उच्च स्वर में पाठ करना विशेष फलदायी होता है. यह आपकी तंत्रिकाओं को जाग्रत करनेवाला होता है. ऐसे में कीलक स्त्रोत का पाठ भी खूब जोर से करना चाहिए ताकि ध्वनि की तरंगे आपके आसपास के वातावरण को स्वच्छ कर दे.