Jharkhand Foundation Day 2024: झारखंड हर साल 15 नवंबर को अपना स्थापना दिवस मनाता है. 15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य का गठन किया गया. हम इस ऑर्टिकल में जानने की कोशिश करेंगे झारखंड राज्य के गठन के बाद से विकास यात्रा और इसके बदलावों की कहानी.
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Jharkhand Foundation Day: झारखंड के गठन के बाद से इसकी विकास यात्रा बहुत संघर्ष वाली रही है. साल 2000 में बिहार के दक्षिणी भाग से राज्य का गठन किया गया था, जिसके पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बने थे. झारखंड के गठन से पहले यह क्षेत्र मेसोलिथिक-ताम्रपाषाण काल से ही बसा हुआ था. इस क्षेत्र में कई प्राचीन गुफा चित्र और पत्थर के औजार पाए गए हैं.
शुरुआती संघर्ष को जानिए
झारखंड को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें संसाधन भी शामिल है, जहां खनिजों से समृद्ध होने के बावजूद इसकी 39.1 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती थी. पांच साल से कम आयु के 19.6 फीसदी बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे. राज्य को नक्सली-माओवादी विद्रोह से भी जूझना पड़ा, जिसने साल 1967 से अब तक हजारों लोगों की जान ले ली है.
आर्थिक विकास
झारखंड इन चुनौतियों के बावजूद महत्वपूर्ण आर्थिक प्रगति की है. राज्य अब देश में खनिज संपदा का सबसे ज्यादा उत्पादक है. यहां लौह अयस्क, कोयला, तांबा अयस्क और अन्य खनिजों का विशाल भंडार है. इसके विशाल वन संसाधनों ने भी इसके आर्थिक विकास में योगदान दिया है.
बुनियादी ढांचे का विकास
बुनियादी ढांचे का विकास राज्य के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है. सरकार ने सड़क संपर्क को बेहतर बनाने के लिए काम किया है, जिसके तहत अब 8,484 से ज्यादा गांव सड़कों से जुड़ चुके हैं. हालांकि, अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है, क्योंकि सिर्फ 45 प्रतिशत गांवों में ही बिजली पहुंच पाई है.
सामाजिक विकास
झारखंड में सामाजिक विकास भी बहुत बड़े लेवल पर हुआ है. राज्य ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में विकास तेजी से हुआ है. हालांकि, असमानताएं आज भी बनी हुई हैं, कुछ क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़े हुए हैं.
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राज्य के सामने आगे की ये हैं चुनौतियां
विकास के रास्ते पर अग्रसर होने के बावजूद झारखंड अभी भी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है. राज्य को अपने आर्थिक विकास को सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं के साथ संतुलित करना चाहिए. गरीबी, कुपोषण और असमानता को संबोधित करना प्राथमिकता बनी हुई है. नक्सली-माओवादी विद्रोह पर भी निरंतर ध्यान देने की जरूर है. कुल मिलाकर देखा जाए तो झारखंड के विकास के सफर में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन साथ ही साथ चुनौतियां भी हैं.
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