CM हेमंत की अध्यक्षता वाली टीएसी का अहम फैसला, लुगू पहाड़ पर नहीं बनेगा हाइडल पावर प्रोजेक्ट
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CM हेमंत की अध्यक्षता वाली टीएसी का अहम फैसला, लुगू पहाड़ पर नहीं बनेगा हाइडल पावर प्रोजेक्ट

Jharkhand News: झारखंड के लुगू पहाड़ पर केंद्र सरकार के उपक्रम डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) की ओर से बनाए जाने वाले हाइडल पावर प्रोजेक्ट की स्थापना में बड़ी अड़चन आ गई है.

CM हेमंत की अध्यक्षता वाली टीएसी का अहम फैसला, लुगू पहाड़ पर नहीं बनेगा हाइडल पावर प्रोजेक्ट

रांची:Jharkhand News: झारखंड के लुगू पहाड़ पर केंद्र सरकार के उपक्रम डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) की ओर से बनाए जाने वाले हाइडल पावर प्रोजेक्ट की स्थापना में बड़ी अड़चन आ गई है. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को आयोजित राज्य की ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि लुगू पहाड़ पर इस प्रोजेक्ट को किसी भी स्थिति में स्थापित नहीं होने दिया जाएगा.

लुगू पहाड़ राज्य के बोकारो जिले में स्थित है और इसे संथाल आदिवासी समुदाय के लोग अपना सबसे बड़ा तीर्थस्थल मानते हैं. दरअसल, केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीन कार्यरत पीएसयू डीवीसी ने लुगू पहाड़ पर 1,500 मेगावाट की क्षमता वाला हाइडल पावर प्लांट स्थापित करने की परियोजना पर काम शुरू किया है. यह परियोजना पंप स्टोरेज पर आधारित है और इसके तहत पहाड़ के ऊपरी और निचले हिस्से में दो जलाशय स्थापित किया जाना है.

इस परियोजना की जानकारी मिलते ही आदिवासी संगठनों ने इसके विरुद्ध मोर्चा खोल दिया. उनका कहना है कि यह आदिवासी तीर्थ स्थल का अतिक्रमण है. इससे लुगू पहाड़ स्थित तीर्थस्थल की अस्मिता और पवित्रता बाधित होगी. इसे वे किसी हाल में नहीं बनने देंगे. अब राज्य सरकार की टीएसी (ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल) ने भी इस पावर प्रोजेक्ट की स्थापना नहीं होने देने का निर्णय पारित किया है. परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट से आदिवासियों की भावनाएं आहत होंगी।

बहरहाल, परिषद के इस निर्णय के बाद केंद्र और राज्य के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है. उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत झारखंड सहित देश के 10 राज्यों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है. इन राज्यों में एक जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) का गठन किया जाता है, जो अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर सरकार को सलाह देती है. इस संवैधानिक निकाय का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि इसे आदिवासियों की मिनी असेंबली के रूप में जाना जाता है.

इनपुट-आईएएनएस

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