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पटना: Bihar Politics: बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से जिस तरह से सियासी घटनाक्रम तेजी से बदले हैं उसका अंदाजा किसी को भी नहीं था. एक तरफ जदयू के नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो वहीं महागठबंधन के कई दलों के बीच आपसी तालमेल भी ठीक नहीं लग रही है. राजद और जदयू के नेता लगातार एक-दूसरे के खिलाफ बयानी जंग छेड़े हुए हैं. पिछले दिनों सुशील कुमार मोदी, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान सहित कई नेताओं ने जेडीयू के सांसदों और विधायकों में तोड़फोड़ की संभावना जताई थी, जिससे नीतीश कुमार काफी चिढ़ गए होंगे. वैसे बिहार में भाजपा के द्वारा शिक्षक अभ्यर्थियों के समर्थन में गुरुवार को जो विधानसभा मार्च निकाला गया और पुलिस ने जिस तरह से यहां पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लाठियां भांजी, उससे साफ जाहिर हो गया कि सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच रिश्ते कितने निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.
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तेजस्वी यादव ने कहा था- हिसाब होकर रहेगा
भाजपा जब जेडीयू के साथ सरकार में थी तब विधानसभा में राजद विधायकों के हंगामे को लेकर बड़ा बवाल हो गया था, तभी तेजस्वी यादव की ओर से कहा गया था कि समय आने पर इसका हिसाब होकर रहेगा. राजद विधायक जितेंद्र कुमार राय ने एक ट्वीट कर तेजस्वी यादव का वह बयान कार्यकर्ताओं को और भाजपा को याद दिलाया है और कहा है कि तेजस्वी जी हम सबका कितना ध्यान रखते हैं.
चिढ़ की एक वजह पलटूराम, पलटूबाबू, कुर्सी कुमार भी
बिहार से एक तरफ नीतीश तमाम विपक्षी दलों को इकट्ठा कर लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने की कवायद में लगे हुए हैं. वहीं तेजस्वी यादव पर चार्जशीट दायर होने के बाद से नीतीश कुमार के फिर से पलटी होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. ऐसे में सीएम नीतीश शायद नहीं चाहते थे कि इस तरह की अटकलबाजी हो और विपक्षी नेताओं में उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हो. इसलिए हो सकता है कि महागठबंधन के अन्य दलों को स्पष्ट संदेश देने के लिए यह कदम उठाना पड़ा हो, क्योंकि जानकार मानते हैं कि राजनीति में कुछ भी संभव है.
तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग से असहज
नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई द्वारा तेजस्वी यादव के खिलाफ चार्जशीट के बाद से तेजस्वी यादव के इस्तीफे की बीजेपी की मांग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार असहज थे, क्योंकि तेजस्वी के बहाने उनकी क्लीन इमेज पर भाजपा हमलावर थी. नीतीश कुमार विधानसभा सत्र के पहले दिन तेजस्वी और तेजप्रताप के साथ विधानसभा पहुंचे थे और विपक्ष को यह संदेश देने की कोशिश की थी कि तमाम दबाव के बीच महागठबंधन के सभी दल एकजुट हैं, लेकिन भाजपा तेजस्वी यादव के बहाने भ्रष्टाचार में सीएम नीतीश कुमार को भी लपेट रही थी.
अब भी शक की निगाहों से देखते जाते थे नीतीश कुमार
राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार अभी भले ही विपक्षी खेमे में हों पर लंबे समय तक भाजपा के साथ रहने के कारण अब भी यूपीए और महागठबंधन के नेता उन्हें संदेह की नजर से देखते हैं. उनको लेकर इन नेताओं के भीतर एक तरह की हिचक है. उसे भी दूर करने की कोशिश पटना लाठी चार्ज के रूप में हो सकती है.