Universal Basic Income: क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम, जिसे 2024 से पहले लागू कर सकती है मोदी सरकार
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Universal Basic Income: क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम, जिसे 2024 से पहले लागू कर सकती है मोदी सरकार

यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम के तहत देश के बेरोजगार युवक युवतियों के साथ-साथ किसानों, मजदूरों, कारीगरों को हर महीने बेरोजगारी भत्ता या फिर स्थायी सैलरी दी जाएगी.

क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम?

Lok Sabha Election 2024: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता जोर पकड़ने लगी है. आगामी 12 जून को पटना में मोदी विरोधी नेताओं का जमावड़ा लगने वाला है, जिसमें बीजेपी को घेरने का प्लान तैयार किया जाएगा. बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई के मुद्दे को विपक्ष बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में लगा है. वहीं मोदी सरकार की ओर से भी इसका तोड़ निकाल लिया गया है. जानकारी के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू कर सकती है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यदि सरकार ने इस योजना को लागू कर दिया तो जनता फिर से मोदी-मोदी करने लगेगी.

क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम?

अब सवाल ये है कि आखिर यूनिवर्सल बेसिक इनकम क्या चीज है? इस योजना से आखिर ऐसा क्या हो जाएगा कि पूरे विपक्ष की बोलती बंद हो जाएगी? माना जा रहा है कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम से देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान निकल सकता है. इस योजना के तहत देश के बेरोजगार युवक युवतियों के साथ-साथ किसानों, मजदूरों, कारीगरों को हर महीने बेरोजगारी भत्ता या फिर स्थायी सैलरी दी जाएगी. कई देशों में ये योजना सफलता के साथ चल रही है. वहीं देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है. 

कैसे विपक्ष की बोलती बंद हो जाएगी?

देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. विपक्ष हर चुनाव में सरकार को इस मुद्दे पर घेरता रहता है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर ही बीजेपी से हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक छीन लिया है. कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपये हर महीने देने का वादा किया था. वहीं कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले हर परिवार की महिला मुखिया को 2000 रुपये महीना देने का वादा किया गया. दोनों राज्यों में कांग्रेस की जीत के पीछे इस योजना का बड़ा अहम योगदान माना जा रहा है. 

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मोदी सरकार की तैयारी पूरी

जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार इस योजना को 2017 के बजट में लेकर आना चाहती थी. सरकार ने बजट से ठीक पहले इस योजना पर आर्थिक सर्वे भी कराया था. सर्वे में कहा गया था कि देश की दो तिहाई आबादी को सालाना 7,620 रुपये देने से इस योजना की शुरुआत की जा सकती है. इतनी भारी-भरकम रकम देखकर सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे. 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपये देने का ऐलान किया था. यह कदम इसी योजना का एक सीमित रूप था. 

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