Bihar Politics: बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रदेश में बढ़े हुए आरक्षण (65 फीसद आरक्षण) को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग की है. इसको लेकर अब जेडीयू की ओर से प्रतिक्रिया आई है. नीतीश कुमार के करीबी नेता और बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस मामले में तेजस्वी यादव को जवाब देते हुए कहा कि जब वह कानून ही रद्द हो गया तो फिर यह मांग क्यों? उन्होंने कहा कि आज की तारीख में जब कानून ही नहीं तो 9वीं सूची में शामिल करने की बात कैसे की जा सकती है?
बता दें कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के आधार पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने बिहार में आरक्षण के दायरे को बढ़ाकर 65 फीसदी करने का कानून लागू किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस कानून को निरस्त कर दिया था. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है. इस पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होनी बाकी है. दूसरी राजद नेता तेजस्वी यादव की ओर से केंद्र सरकार से इस कानून को संविधान की 9वीं सूची में शामिल किए जाने की मांग की जा रही है.
इस पर विजय चौधरी ने कहा कि उन्हें (तेजस्वी यादव) यह मालूम होना चाहिए कि जिस वक्त यह कानून बना था, उसी समय नीतीश कुमार ने केंद्र की सरकार को इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने को लिखा था, सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से कानून को फिर से बहाल किए जाने का निर्णय आएगा. इसके बाद फिर से केंद्र को इसे 9वीं अनुसूची में शामिल किए जाने को लिखा जाएगा. जेडीयू नेता ने कहा कि चुनाव को लेकर राजद के नेतृत्व में बेचैनी देखने को मिल रही है.
विपक्ष द्वारा जाति जनगणना की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए विजय चौधरी ने कहा कि बिहार में जातीय गणना किसके नेतृत्व में हुई? ये भी सभी लोग जान रहे हैं. सभी दलों की सहमति जरूर थी, लेकिन पहल और निर्णय सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ने लिया है. सबने विधानसभा में समर्थन किया था, लेकिन सोच तो नीतीश कुमार की थी. ये भी सब लोगों को स्वीकार करना चाहिए.