Bharat Jodo Nyay Yatra: भारत जोड़ो न्याय यात्रा में महात्मा गांधी की कर्मभूमि को भूल गए राहुल गांधी
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Bharat Jodo Nyay Yatra: भारत जोड़ो न्याय यात्रा में महात्मा गांधी की कर्मभूमि को भूल गए राहुल गांधी

Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गांधी फिर से एक बार भारत जोड़ो यात्रा लेकर देश में निकलने वाले हैं. कांग्रेस इस बार इस यात्रा के जरिए लोकसभा चुनाव पर अपनी नजरें गड़ाए बैठी है.

फाइल फोटो

पटना: Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गांधी फिर से एक बार भारत जोड़ो यात्रा लेकर देश में निकलने वाले हैं. कांग्रेस इस बार इस यात्रा के जरिए लोकसभा चुनाव पर अपनी नजरें गड़ाए बैठी है. इससे पहले राहुल गांधी की पहली भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस का दावा रहा कि उसने कर्नाटक की सत्ता से भाजपा को उखाड़ फेंका, इस बार कांग्रेस केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेकर निकलने वाले हैं. इस बार इस यात्रा का नाम भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर दिया गया है. मतलब कांग्रेस की मानें तो भारत जुड़ेगा भी और उसे न्याय भी मिलेगा, इससे पहले इसे भारत न्याय यात्रा का ही केवल नाम दिया गया था. इस सब के बीच आपको बता दें कि कांग्रेस की यह यात्रा बिहार की सीमा में इस दफे दो बार प्रवेश करेगी. लेकिन, महात्मा गांधी के आदर्शों और पद चिन्हों पर चलनेवाली कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी इस यात्रा में महात्मा गांधी की कर्मभूमि को ही भूला बैठे हैं. 

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हालांकि कांग्रेस नए पैकेट में वही पुराना करिश्मा डालने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस की इस यात्रा का प्रारंभ इस बार मणिपुर से होना है. मणिपुर वही जो अभी तक सांप्रदायिक हिंसा की आग में जलता नजर आ रहा था. यानी कांग्रेस न्याय यात्रा के साथ यहां से ही अपनी शुरुआत करने वाली है. यह यात्रा 6700 किलोमीटर लंबी होगी. वहीं यह 15 राज्यों से होकर गुजरेगी. 

बिहार में भी 425 किलोमीटर लंबी यह यात्रा होने वाली है जिसमें प्रदेश के 7 जिले कवर होंगे. कांग्रेस इस यात्रा के पहले पड़ाव में कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज से गुजरते हुए यात्रा को पश्चिम बंगाल की सीमा में ले जाएगी. मतलब सीमांचल की लोकसभा सीटों पर जिस पर वह पहले से दावा करती रही है उसे पहले चरण में ही कांग्रेस साध लेगी. वहीं दूसरे चरण में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का प्रवेश बिहार के रोहतास जिले में होगा जहां से यह यात्रा सासाराम, कैमूर, औरंगाबाद में चलेगी और फिर यूपी के वाराणसी में प्रवेश कर जाएगी.

लेकिन इस सब के साथ जो सबसे ज्यादा हैरानी की बात है वह यह है कि जो कांग्रेस महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानती है. जिनके नेताओं के नाम में गांधी जुड़ा हुआ है वह यात्रा लेकर दो बार बिहार की सीमा में प्रवेश करने वाले हैं लेकिन बापू की कर्मभूमि चंपारण में जाने का उनका कोई इरादा नहीं है. कांग्रेस इस यात्रा में भले महात्मा गांधी के आदर्शों को साथ लेकर चलने का दावा कर रही हो लेकिन वह बापू के बापूधाम जाने की योजना को पीछे छोड़ती दिख रही है.  

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