Prashant Kishor New Party: प्रशांत किशोर की असली चुनौती यहां से शुरू होती है. दूसरों को ज्ञान देकर चुनाव जिताना और खुद चुनाव में उतरकर जीतने में बहुत फर्क होता है. प्रशांत किशोर शायद इस फर्क को समझते हैं, तभी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं.
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Jan Suraj Party Launch: प्रशांत किशोर अपनी नई पारी की शुरुआत कर रहे हैं. आज वे एक रणनीतिकार से राजनेता बनने का सफर पूरा कर लेंगे. यहां से उनकी नई चुनौतियां शुरू हो जाएंगी. इस बीच जनसुराज के एक्स हैंडल से एक पोस्ट किया गया है, जिसमें उनको महात्मा गांधी और चाणक्य का मिला जुला रूप बताया गया है. पोस्ट का मजमून इस प्रकार है, 'जब Prashant Kishor को पदयात्रा करते देखा, तो उनमें महात्मा गांधी की एक झलक दिखाई दी. बेहिसाब मेहनत, शानदार रणनीति और बिहार के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा. वाकई, Prashant Kishor महात्मा गांधी और चाणक्य का एक मिला-जुला व्यक्तित्व हैं.'
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अब जनसुराज के हैंडल से कोई पोस्ट आएगा तो उसमें प्रशांत किशोर की तो तारीफ की ही जाएगी, लेकिन यह बात राजनीतिक दलों को चुभ सकती है और जल्द ही वे इस पर अपना रिएक्शन भी दे सकते हैं. प्रशांत किशोर की तुलना आत्मानुशासन के पराकाष्ठा पुरुषों से की गई है. एक तरफ बुद्धिमत्ता और चातुर्य के धनी चाणक्य तो दूसरी तरफ अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी.
चाणक्य इसलिए कि बिहार की धरती पर चाणक्य जितना बुद्धिमान, विद्वान और रणनीतिकार आज तक पैदा नहीं हुआ और महात्मा गांधी इसलिए कि आज की राजनीति में यह अपरिहार्य हो गया है. अनुसरण करे या न करे, जिक्र जरूर किया जाता है. वो कहते हैं न कि फिक्र करो या न करो जिक्र जरूर करो. कोई भी पार्टी अपने नेता की तुलना शिखर पुरुषों से तो कर ही सकती है.
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खैर, इसमें कोई बुराई नहीं है. प्रशांत किशोर के पास अब अपनी राजनीतिक पार्टी होगी. उसका अपना एजेंडा होगा, उसकी अपनी रणनीति होगी और उसे चलाने वाले लोग होंगे. बिहार के स्थापित दलों से प्रशांत किशोर की पार्टी किस तरह अलग होगी, यह देखना बाकी होगा.