शिवहर पर कभी बाहुबली नेता आनंद मोहन का दबदबा देखने को मिलता था. उन्होंने यहां उस वक्त जीत हासिल की थी, जब बिहार में लालू यादव की तूती बोलती थी.
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Sheohar Lok Sabha Seat Profile: शिवहर, बिहार का सबसे छोटा जिला है. 6 अक्टूबर 1994 को यह जिला अस्तित्व में आया. जिला बनने से पहले तक यह सीतामढ़ी जिला का अनुमंडल हुआ करता था. इसके जर्रे-जर्रे में आस्था और भक्ति है. कहते हैं कि यह स्थली पर भगवान शिव और हरि के मिलन की भूमि है, इसीलिए इसका नाम शिवहर पड़ा. रामायण और महाभारत काल से भी इसका सीधा संबंध रहा है. यह जिला तीन जिला से घिरा हुआ है. इसके उत्तर-पूर्व में सीतामढ़ी, पश्चिम में पूर्वी चम्पारण और दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला है.
शिवहर, बिहार की ऐसी इकलौती संसदीय सीट है, जिसके अन्तर्गत इस जिले का सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र आता है. 1953 में हुए पहले चुनाव में यहां से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा ने जीत हासिल की थी. उस वक्त इस क्षेत्र को मुजफ्फरपुर नॉर्थ वेस्ट लोकसभा सीट कहा जाता था. दूसरे चुनाव में इस सीट का नाम बदलकर पुपरी सीट कर दिया गया. इस बार यहां से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सांसद बने.
शिवहर का राजनीतिक इतिहास
80 के दशक में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा. साल 1980 और 1984 के चुनावों में कांग्रेस का प्रभुत्व रहा, लेकिन 1989 में जनता दल के हरिकिशोर सिंह ने जीत हासिल की. वो लगातार 2 बार इस सीट पर विजयी हुए. साल 1996 में समता पार्टी के आंनद मोहन सिंह सांसद चुने गए वो 1998 में भी यहां से सांसद बने. इस बार वो समता पार्टी से खड़े थे. 1999 और 2004 में यहां RJD ने बाजी मारी. साल 2009 में ये सीट बीजेपी की रमा देवी के पास है.
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आनंद मोहन की बोलती थी तूती
90 के दशक में यह सीट काफी चर्चा में रही. यहां से बाहुबली नेता आनंद मोहन लगातार दो बार सांसद बने. उसी दौर में आनंद मोहन का नाम गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में आया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. 2024 के चुनाव के पहले से वह जेल से बाहर आ चुके हैं. उनकी रिहाई के लिए सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार ने नियम तक बदल दिए. इस बार इस सीट पर आनंद मोहन की रिहाई का असर होना तय माना जा रहा है.
इस सीट की समस्याएं?
2011 के जनगणना के अनुसार शेखपुरा के बाद सबसे कम आबादी वाले जिले में इसका नाम आता है. यह जिला पिछड़ेपन का काफी शिकार हुआ. इस जिले की साक्षरता मात्र 38% है जो राष्ट्रीय और राजकीय औसत से काफी कम है. बाढ़ से काफी प्रभावित रहने के कारण यहां सड़कों का अच्छा नेटवर्क भी नहीं है.