Kurhani By Election: कुढ़नी में आसान नहीं महागठबंधन और बीजेपी की राह, जानें क्यों
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Kurhani By Election: कुढ़नी में आसान नहीं महागठबंधन और बीजेपी की राह, जानें क्यों

Kurhani By Election: कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन और भाजपा की ओर से भले ही जीत का दावा किया जा रहा है, लेकिन दोनों के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि इस सीट से पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने नीलाभ कुमार और एआईएमआईएम ने गुलाम मुर्ताजा अंसारी को चुनाव मैदान में उतार द

Kurhani By Election: कुढ़नी में आसान नहीं महागठबंधन और बीजेपी की राह, जानें क्यों

पटना:Kurhani By Election: कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन और भाजपा की ओर से भले ही जीत का दावा किया जा रहा है, लेकिन दोनों के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि इस सीट से पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने नीलाभ कुमार और एआईएमआईएम ने गुलाम मुर्ताजा अंसारी को चुनाव मैदान में उतार दिया है. वीआईपी और एआईएमआईएम के प्रत्याशी महागठबंधन और भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. सात दलों के गठबंधन से बने महागठबंधन की ओर से अपने पक्ष में जातीय समीकरण होने की बात कही जाती रही है, लेकिन ये समीकरण गोपालगंज उप चुनाव में फेल होता दिखा, क्योंकि वहां पर बसपा उम्मीदवार के रूप में साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव और एआईएमआईएम प्रत्याशी अब्दुल सलाम को लगभग बीस हजार वोट मिले थे, जिससे महागठबंधन के प्रत्याशी मोहन गुप्ता लगभग दो हजार वोटों से चुनाव हार गये थे. 

महागठबंधन और बीजेपी के वोट बैंक में सेंध
कुढ़नी उपचुनाव में गोपालगंज से स्थिति अलग है, क्योंकि यहां पर महागठबंधन और भाजपा दोनों के कोर वोट बैंक में सेंध लगती दिखेगी. एआईएमआईएम के प्रत्याशी गुलाम मुर्तजा अंसारी जो पहले जिला पार्षद रह चुके हैं, वो महागठबंधन के कोर वोटर माने जाने वाले मुस्लिम वोट कांटेंगे, तो वहीं वीआईपी प्रत्याशी नीलाभ कुमार भाजपा के कोर वोटर कहे जानेवाले भूमिहार वोटरों में सेंध लगायेंगे. नीलाभ का कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से पुराना नाता रहा है, क्योंकि इनके बाबा साधु शरण शाही इस सीट का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अंतिम बार 1990 में साधु शरण शाही ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. 

मुस्लिम वोटर होंगे यहां निर्णायक भूमिका में 
2.84 लाख वोटरों वाले कुढ़नी में उप चुनाव से पहले टिकट के लिए काफी जद्दोजहद हुई. साधु शरण शाही के पोते नीलाभ कुमार राजद से टिकट के लिए लाबिंग कर रहे थे, जबकि भाजपा के युवा नेता शशि रंजन भी अपनी उम्मीदवारी पेश कर रहे थे. शशि रंजन लंबे समय से इलाके में काम कर रहे हैं और भूमिहार जाति से आते हैं, जिसके वोटरों की संख्या कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में अच्छी खासी है. इसके अलावा मुस्लिम वोटरों की संख्या भी यहां ऐसी है, जो किसी भी प्रत्याशी की जीत हार में निर्णायक भूमिका निभा सकती है. 

बीजेपी को भूमिहार वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ी 
कुढ़नी उप चुनाव में जिस तरह के हालात बने हैं. उसमें महागठबंधन और भाजपा दोनों के कोर वोट बैंक में सेंध लगनी तय मानी जा रही है. कुढ़नी से पहले मुजफ्फरपुर में बोंचहां सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा को भूमिहार वोटरों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी, उस समय जदयू और भाजपा साथ थी और प्रदेश में एनडीए की सरकार थी, उसके बाद भी राजद प्रत्याशी अमर पासवान ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक बेबी कुमारी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. बोचहां उप चुनाव में भी वीआईपी फैक्टर देखने को मिला था. वीआईपी पार्टी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने इलाके में कैंप करके अपने प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार किया था, जिससे उसे बीस हजार से ज्यादा वोट मिले थे. उस समय मुकेश सहनी ने दावा किया था, कि हमारी प्रत्याशी की जीत भले ही नहीं हुई, लेकिन हमने भाजपा ( एनडीए) को हरा दिया.

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