Khijri Assembly Seat: खिजरी में जनसंघ के जमाने से अच्छा करती रही है BJP, क्या इस बार सीट बचा पाएगी कांग्रेस?
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Khijri Assembly Seat: खिजरी में जनसंघ के जमाने से अच्छा करती रही है BJP, क्या इस बार सीट बचा पाएगी कांग्रेस?

Khijri Assembly Seat Profile: खिजरी सीट पर जनसंघ कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की फाइट देखने को मिलती रही है. 2019 में कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश कच्छप ने भारतीय जनता पार्टी के रामकुमार पाहन को मात दी थी.

खिजरी विधानसभा सीट

Khijri Assembly Seat Profile: खिजरी विधानसभा सीट, झारखंड की हॉट सीटों में से एक है. जनसंघ के जमाने से यहां बीजेपी अच्छा करती आई है. 1969 के अविभाजित बिहार में इस सीट से जनसंघ के सुखारी उरांव विधायक बने थे. जबकि उससे दो साल पहले यानी 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के आरएल होरो को जीत मिली थी. 1972 में उमराव सादो कुजूर ने फिर से कांग्रेस का झंडा बुलंद किया तो 1977 में फिर सुखारी उरांव को जीत हासिल हुई. यह आंकड़े साफ बता रहे हैं कि इस सीट पर जनसंघ कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की फाइट देखने को मिलती रही है. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश कच्छप को जीत मिली थी. तो वहीं इस बार के इस सीट पर बीजेपी की निगाहें जमी हुई हैं और पार्टी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

2019 में कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश कच्छप ने 83 हजार 829 वोट लाकर जीत हासिल की थी, जबकि 78 हजार 360 वोट के साथ बीजेपी के रामकुमार पाहन दूसरे स्थान पर थे. इस बार इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. खिजरी का बड़ा इलाका रांची से सटा हुआ है. ऐसे में शहरी मतदाताओं के एक बड़े वर्ग भाजपा के समर्थक है. इसको ध्यान में रखते हुए भाजपा के नामी चेहरे प्रत्याशी के रूप में होंगे. तो इस पर जीत हासिल करना भाजपा के लिए थोड़ा आसान हो सकता है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि खिजरी विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा या आशा लकड़ा मैदान में उतर सकती हैं.

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हालांकि मीरा मुंडा को खरसावां सीट से भी उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है. गठबंधन की ओर से कांग्रेस के सिटिंग विधायक राजेश कच्छप ही प्रमुख दावेदार हैं, लेकिन पार्टी के अंदर से भी उन्हें चुनौती मिल सकती है. चर्चा यह भी है कि पार्टी कुछ चेहरों में बदलाव कर सकती है. बता दें कि वर्ष 2019 में बीजेपी और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार बीजेपी, आजसू के साथ जेडीयू और लोजपा-रामविलास भी साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेगी. वहीं महागठबंधन में कांग्रेस-जेएमएम के साथ राजद और वामदल भी एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं.

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