Jitan Ram Manjhi News: मांझी साल 1990 और 1996 में फतेहपुर से विधायक भी रहे हैं. साल 1996 से लेकर 2005 के दौर में जीतन राम मांझी ने बिहार में राजद की सरकार में मंत्री के तौर पर काम किया है. 20 मई 2014 को जीतन राम मांझी को पहली बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. यह मौका नीतीश कुमार ने दिया था.
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Jitan Ram Manjhi: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी 6 अक्टूबर, 2024 को पूरे 80 बरस के हो गए. बिहार में मांझी को लेकर कहा जाता है कि वह दलित उत्थान की राजनीति करने वाले नेता हैं. इसके पीछे की वजह भी है, वह खुद दलित समाज से आते हैं. जीतन राम मांझी का जन्म गया के एक दलित परिवार में हुआ था. जीतन राम मांझी का जन्म 6 अक्टूबर, 1944 को हुआ था. इनका गांव बिहार के गया जिले के खिजरसराय क्षेत्र के अंतर्गत महकार है. आज हम इस ऑर्टिकल में जानने की कोशिश करेंगे की जीतन राम मांझी ने टेलीफोन एक्सचेंज में नौकरी करने और बिहार के सीएम बनने की कहानी के बारे में सबकुछ.
टेलीफोन एक्सचेंज में नौकरी करते थे जीतन राम मांझी
राजनीति में आने से पहले जीतन राम मांझी टेलीफोन एक्सचेंज में नौकरी करते थे. उन्होंने ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद परिवार चलाने के लिए टेलीफोन एक्सचेंज में नौकरी की थी. टेलीफोन एक्सचेंज में जीतन राम मांझी ने 13 साल तक नौकरी की थी. बताया जाता है कि मांझी ने यह नौकरी तब तक की जब तक उनका भाई कहीं सेट नहीं हो गया. भाई के करियर सेट होते ही जीतन राम मांझी ने नौकरी छोड़ दी और सियासी पारी शुरू की. जीतन राम मांझी ने 1980 में कांग्रेस के टिकट पर गया के फतेहपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. यहीं से इनकी राजनीति शुरू होती है.
जीतन राम मांझी ने 1990 और 1996 में फतेहपुर से विधायक रहे हैं. बिहार में जब लालू यादव की पार्टी राजद की सरकार थी, तब मांझी उसमें बतौर मंत्री काम किया है. यह दौर 1996 से लेकर 2005 के बीच का है. जीतन राम मांझी ने इसके बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन थाम लिया. यह संयोग ही है कि 20 मई 2014 को जीतन राम मांझी को पहली बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया. मांझी को यह मौका नीतीश कुमार ने दिया था.
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दरअसल, जीतन राम मांझी के सीएम बनने बड़ा दिलचस्प संयोग है. ध्यान दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू अलग-अलग चुनावी मैदान में थे. लोकसभा चुनाव 2014 में मिली हार से नीतीश बहुत दुखी थे. नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को सीएम बना दिया था. कुछ इस तरह से मांझी बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे.
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