इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, राजनीति में सोशल केमिस्ट्री बनाई और फिर बन बैठे बिहार के सबसे बड़े पॉलिटिकल मैनेजमेंट गुरु
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इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, राजनीति में सोशल केमिस्ट्री बनाई और फिर बन बैठे बिहार के सबसे बड़े पॉलिटिकल मैनेजमेंट गुरु

Nitish Kumar Birthday: जनता दल से अलग होकर नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाई थी, तब से लेकर आज तक नीतीश कुमार के कई करीबी दूर होते चले गए पर राजनीति में उनकी चमक पर कभी आंच नहीं आई. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

Nitish Kumar Birthday: नीतीश कुमार (Nitish Kumar)... बिहार की राजनीति में ऐसा नाम, जिनके इर्द गिर्द राज्य की राजनीति पिछले 20 साल से घूम रही है. लचीलापन इतना कि वे भाजपा के साथ जाते हैं तब भी धर्मनिरपेक्ष रहते हैं और राजद के साथ जाते हैं, तब भी सामाजिक समरसता के पुरोधा का तमगा साथ रखते हैं. बिहार के सभी राजनीतिक दल आज की तारीख में नीतीश कुमार को अपने पाले में लाने को बेताब दिखता है. आलम यह है कि 2014 से 15 के बीच के जीतनराम मांझी के संक्षिप्त कार्यकाल को छोड़ दें तो नीतीश कुमार ही बिहार की सत्ता के केंद्रबिंदु रहे हैं. पूरी की पूरी सरकार बदल जाती है पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहते हैं. राजनीति में इतना फ्लेक्सिबल होना कोई नीतीश कुमार से सीख सकता है. नीतीश कुमार ऐसे राजनेता रहे हैं, जिन्होंने पढ़ाई तो इंजीनियरिंग पढ़ी और राजनीति में सोशल केमिस्ट्री का प्रयोग किया और उसके बाद बिहार के सबसे बड़े पॉलिटिकल मैनेजमेंट गुरु बन बैठे हैं. पिछले कई साल से बिहार में विपक्षी दलों के नेता नीतीश कुमार के करियर के ढलान के दावे करते रहे हैं पर नीतीश कुमार को जब लगता है कि कुछ गड़बड़ हो रहा है तो वे तुरंत संभल जाते हैं और डैमेज कंट्रोल में जुट जाते हैं. 90 के दशक में समता पार्टी की स्थापना करने के बाद नीतीश कुमार ने अपना फोकस कुर्मी और कोइरी जातियों पर बढ़ा दिया, जो बाद में सॉलिड वोटबैंक के रूप में स्थापित हो गया. 

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मुख्यमंत्री पद की 9 बार ली शपथ 

1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने 28 जनवरी 2024 को एक बार फिर एनडीए के बैनर तले आकर सरकार बनाई है. इस तरह नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 9 बार शपथ ले चुके हैं. उससे पहले वे राजद के साथ मिलकर 9 अगस्त 2022 को सरकार बना चुके हैं. नीतीश कुमार के नाम एक और रिकॉर्ड है, जिसका जिक्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बार बार कर रहे हैं. वो रिकॉर्ड यह है कि एक ही कार्यकाल में नीतीश कुमार तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. नीतीश कुमार सबसे पहले सन् 2000 में मुख्यमंत्री बने थे पर उस समय अंकगणित उनके साथ नहीं था और उन्हें तत्काल इस्तीफा देना पड़ा था. आखिरकार 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को बहुमत मिला और वे पूर्णकालिक मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए. जब से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तब से बाकी नेता सीएम इन वेटिंग ही रह गए. इस लिस्ट में भाजपा के कई नेताओं के नाम हैं तो राजद की ओर से तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार के चलते ही मुख्यमंत्री पद मिलने में काफी देरी हो रही है.

राजनीतिक सफरनामा 

नीतीश कुमार सबसे पहले 1985 में विधानसभा के लिए चुने गए थे. उसके बाद 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष चुने गए थे और 1989 में बिहार में उन्हें जनता दल का सचिव बनाया गया था. 1989 में ही वे 9वीं लोकसभा के सदस्य भी चुने गए थे. 1990 में वे केंद्र की सरकार में कृषि राज्यमंत्री बनाए गए. 1991 में वे फिर लोकसभा के लिए चुने गए और जनता दल के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए थे. लोकसभा में वे पार्टी की ओर से उपनेता भी बनाए गए थे. 1998—99 की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे केंद्रीय रेल और भूतल परिवहन मंत्री रहे थे और 1999 में गैसोल रेल हादसे के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. 2013 में जब केंद्र की राजनीति में नरेंद्र मोदी का प्रादुर्भाव हुआ, तब नीतीश कुमार ने विरोधस्वरूप एनडीए से बाहर जाने का फैसला किया और 2014 का लोकसभा चुनाव बिना किसी गठबंधन के लड़े. इस चुनाव में उन्हें बुरी तरह मात मिली और 40 सीटों वाले बिहार में केवल 2 सीटों से संतोष करना पड़ा था. उसके बाद नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. जीतनराम मांझी से मतभेदों के बाद उन्होंने एक साल के भीतर ही फिर से मुख्यमंत्री पद संभाल लिया था. 

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नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा से अलग 

उसके बाद नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की राजद से नजदीकियां बढ़ीं और 2015 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन जीत गया, लेकिन 2017 आते आते नीतीश कुमार का राजद से मोहभंग हो गया और तेजस्वी यादव का नाम नौकरी के बदले जमीन घोटाले में आने के बाद उन्होंने भाजपा के साथ फिर से जाने का फैसला किया. उसके बाद वे एनडीए के मुख्यमंत्री बन बैठे और 2019 का चुनाव एनडीए के बैनर तले ही लड़ा गया. नतीजा यह हुआ कि बिहार की 40 में से 39 सीटें एनडीए को मिल गईं और विपक्ष को केवल किशनगंज के रूप में एक सीट मिली थी. 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव भी नीतीश कुमार ने एनडीए के बल पर लड़ा, लेकिन उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा. इस चुनाव में पहली बार भाजपा की सीटें जेडीयू से करीब दोगुनी हो गईं फिर भी भाजपा ने चुनावी वादे का हवाला देते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. 2022 के अगस्त महीने तक नीतीश कुमार का भाजपा से फिर से मोहभंग हो गया और वे राजद के साथ चले गए थे.

नीतीश कुमार का निजी जीवन 

नाम: नीतीश कुमार, उपनाम: मुन्ना 
जन्मस्थान: हरनौत, कल्याण बिगहा, नालंदा 
जाति: कुर्मी 
पिता: कविराज राम लखन, स्वतंत्रता सेनानी 
पढ़ाई: 1972 में बिहार कॉलेज आफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री 
करियर: पहले बिहार राज्य बिजली बोर्ड में, बाद में राजनीति ज्वाइन कर ली
राजनीतिक करियर: जेपी आंदोलन में शामिल रहे. नीतीश कुमार सत्येंद्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे
शादी: मंजू कुमारी सिन्हा से 1973 में शादी. मंजू कुमारी सिन्हा एक स्कूल में अध्यापिका थीं. दोनों को एक बेटा है- निशांत. 2007 में मंजू कुमारी सिन्हा का निधन हो गया था.

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