Bihar Politics: केंद्र में भूमिहार और बिहार में कुशवाहा, आबादी कम होने पर भी इन दोनों जातियों पर NDA का फोकस क्यों?
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Bihar Politics: केंद्र में भूमिहार और बिहार में कुशवाहा, आबादी कम होने पर भी इन दोनों जातियों पर NDA का फोकस क्यों?

Bihar Politics: कुशवाहा और भूमिहार समाज को अभी तक एनडीए का कोर वोटर समझा जाता था. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने इस वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी की है. बिहार के साथ पूर्वांचल (यूपी) में भी भूमिहार वोटर इंडिया ब्लॉक की ओर शिफ्ट हुआ है.

CM नीतीश-PM मोदी

Bihar Politics: बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव की बारी है. विधानसभा इलेक्शन के लिए बिसात अभी से बिछने लगी है. सत्तापक्ष एनडीए हो या विपक्ष इंडिया ब्लॉक दोनों ही अब नए सिरे जातियों की खेमेबंदी और सामाजिक समीकरण बिठाने में जुट गए हैं. प्रदेश में हुए जातीय सर्वे ने राजनीतिक दलों के इस काम को थोड़ा आसान कर दिया है. एनडीए की ओर से केंद्र में भूमिहार और प्रदेश में कुशवाहा का विशेष ध्यान रखा जाता है. ऐसे में सवाल ये है कि जब जातीय सर्वे के हिसाब से प्रदेश में भूमिहार और कुशवाहा जातियों की आबादी बहुत ज्यादा नहीं है. तो एनडीए इन दोनों जातियों (भूमिहार और कुशवाहा) पर इतना फोकस क्यों करती है. 

केंद्र में 2 भूमिहार नेता बने मंत्री

दरअसल, लालू प्रसाद के ‘भूरा बाल साफ’ करने के अभियान के बावजूद भूमिहारों ने बिहार की राजनीति में अपने को मजबूती से खड़ा रखा. यही कारण है कि बिहार में जातियों के खंड-खंड बंटने के बाद हर राजनीतिक दल की पहली पसंद भूमिहार बन गए हैं. इस बार प्रदेश में तीन भूमिहार नेता सांसद बने हैं, जिनमें से 2 नेताओं को मोदी कैबिनेट 3.0 में जगह मिली है. जेडीयू की ओर से ललन सिंह तो बीजेपी कोटे से गिरिराज सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. जबकि राजपूत को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली. हालांकि, जातीय सर्वे के हिसाब से भूमिहार की आबादी काफी कम है. इस रिपोर्ट से पता चला है कि सवर्णों में सबसे ज्यादा भूमिहार जाति के लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

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चरम पर कुशवाहा पॉलिटिक्स 

इसी तरह से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा पॉलिटिक्स चरम पर है. जेडीयू के भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद भेजने की घोषणा के अगले ही दिन उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजने का ऐलान कर दिया गया. अगर एनडीए की ओर से पहल ना होती तो उपेंद्र कुशवाहा को महागठबंधन की ओर से राज्यसभा जाने का मौका मिल सकता था. फिलहाल, एनडीए बिहार में एक मजबूत संदेश देना चाह रही है कि कुशवाहा, एनडीए का नेचुरल सपोर्टर है. यही वजह है कि भगवान सिंह कुशवाहा के नामांकन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ,राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा शामिल होंगे. 

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इन दोनों जातियों पर NDA का फोकस क्यों?

दरअसल, बिहार में कुशवाहा समुदाय राज्य की आबादी का 4.27 प्रतिशत है. यादवों के बाद यह दूसरी बड़ी जाति है. कुशवाहा समाज को अभी तक एनडीए का कोर वोटर समझा जाता था. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कुशवाहा बिरादरी को टारगेट किया. राजद ने कुशवाहा नेताओं को खूब टिकट दिए और इसका परिणाम भी मिला. राजद से जीतकर 2 कुशवाहा नेता सदन पहुंचे हैं. इसने एनडीए की टेंशन बढ़ा दी है. दूसरी ओर भूमिहारों के बारे में कहा जाता है कि यह वोकल होते हैं. मतलब एक भूमिहार कम से कम 5 वोट जोड़ने की क्षमता रखता है. यही वजह है कि एनडीए का इन दो जातियों पर फोकस रहता है.

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