Bihar Ploitics: सुशील मोदी की मांग, सर्वे से ठगा महसूस कर रही है कई जातियां,समीक्षा कराए सरकार
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Bihar Ploitics: सुशील मोदी की मांग, सर्वे से ठगा महसूस कर रही है कई जातियां,समीक्षा कराए सरकार

Bihar Ploitics: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सत्ता से जुड़ी चुनिंदा जातियों को छोड़ कर लगभग सभी जातियों के लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

(फाइल फोटो)

पटना: Bihar Ploitics: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सत्ता से जुड़ी चुनिंदा जातियों को छोड़ कर लगभग सभी जातियों के लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसे में सुशील मोदी ने इस रिपोर्ट की समीक्षा की मांग सरकार से की है. वैसे बता दें कि इस सर्वे की रिपोर्ट की वजह से बिहार ही नहीं पूरे देश की राजनीति गर्म हो गई है. 

बिहार में तो सियासी दल इस रिपोर्ट पर कई तरह के सवाल भी खड़े करने लगे हैं. जहां राजद और जदयू सहित कांग्रेस के नेता जो सरकार में हैं उनकी तरफ से भी इस रिपोर्ट पर कई तरह की बातें कही जा रही है. वहीं जातीय सर्वे की रिपोर्ट पर सुशील मोदी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और जदयू के एक सांसद सहित अनेक लोग जब सर्वे के आंकड़ों को विश्वसनीय नहीं मान रहे हैं, तब सर्वे प्रक्रिया की समीक्षा करायी जानी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय सर्वे कराने के सरकार के नीतिगत निर्णय पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद अब कानूनी रूप से सर्वे को लेकर कोई कानूनी बाधा या अड़चन नहीं है.सुशील मोदी ने कहा कि दूसरी तरफ सर्वे की विश्वसनीयता जनता का मुद्दा बन गया है. ऐसी शिकायतें मिली हैं कि प्रगणकों ने अनेक इलाकों के आंकड़े घर बैठे तैयार कर लिए.

उन्होंने कहा कि वैश्य, निषाद जैसी कुछ जातियों के आंकड़े 8-10 उपजातियों में तोड़ कर दिखाये गए, ताकि उन्हें अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास नहीं हो. यह किसके इशारे पर हुआ ?
सुशील मोदी ने आगे कहा कि राज्य में वैश्य समाज की आबादी 9.5 फीसदी से अधिक है, लेकिन यह सर्वे में दर्ज नहीं हुआ. 

उन्होंने कहा कि जिस जाति-धर्म के लोग वर्तमान सत्ता के साथ हैं, उनकी संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए उपजातियों के आंकड़े छिपाये गए.मोदी ने कहा कि जातीय सर्वे पर जो संदेह-सवाल उठ रहे हैं, उनका उत्तर राज्य सरकार को देना चाहिए, पार्टी प्रवक्ताओं को नहीं. 

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