Bihar Caste Census: जातीय जनगणना को मिलेगी हरी झंडी? पटना HC में सुनवाई आज, सरकार फिर से रखेगी अपनी दलील
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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना को मिलेगी हरी झंडी? पटना HC में सुनवाई आज, सरकार फिर से रखेगी अपनी दलील

हाईकोर्ट की ओर से लगी रोक के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को वापस उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था. यदि उच्च न्यायालय सुनवाई नहीं करेगी तो फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. 

फाइल फोटो

Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना का जिन्न एक बार फिर से चिराग से बाहर निकलने वाला है. पटना हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर आज यानी सोमवार (03 जुलाई) को फिर से सुनवाई होने वाली है. पहले चरण की जातीय गणना समाप्ति के बाद 15 अप्रैल से जातीय गणना का दूसरे चरण का काम भी शुरू हो गया लेकिन पटना हाईकोर्ट से रोक के बाद जातीय गणना का काम पूरा नहीं हो सका था. बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को वापस उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था. यदि उच्च न्यायालय सुनवाई नहीं करेगी तो फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. 

 

हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए नीतीश सरकार को कहा गया था कि अब तक जो भी डेटा कलेक्ट किए गए हैं उसे सुरक्षित रखें. कोर्ट की ओर से सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख दी गई थी. आज अब फिर से सरकार की ओर से इस पर दलीलें पेश की जाएंगी. याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार के पास जातियों को गिनने का अधिकार नहीं है. ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है. जातीय गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्यौरा लिया जा रहा है. ये उसकी गोपनियता के अधिकार का हनन है. 

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इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी. बता दें कि बिहार में 7 जनवरी 2023 से जाति और आर्थिक गणना शुरू की गई थी. पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चला था, जबकि दूसरा चरण 1 अप्रैल से शुरू हुआ था. इसके पहले चरण में मकान की गिनती हुई. दूसरे चरण में जाति और आर्थिक गणना की गई थी. इसके लिए सरकार ने कर्मचारियों की ट्रेनिंग कराई थी, जो घर-घर जाकर डेटा जुटा रहे थे.

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इसके बाद पटना हाई कोर्ट ने 4 मई को बिहार में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाकर नीतीश सरकार को झटका दे दिया. हाईकोर्ट ने कहा था कि अब तक जो डेटा कलेक्ट हुआ है, उसे नष्ट नहीं किया जाए. उस वक्त बिहार सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कहा था कि सुनवाई जल्द हो ताकि जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराया जा सके. हालांकि, हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था.

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