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पटना: बाबा बागेश्वर पटना से जा चुके हैं. पिछले एक महीने से बाबा बागेश्वर के नाम पर पटना की राजनीति को ऑक्सीजन मिल रही थी. बाबा के वापस लौटने के बाद भी उन्हीं के नाम का बिल सियासत में फाड़ा जा रहा है. एक पक्ष समर्थन में तो दूसरा विरोध में खड़ा है. दोनों के अपने-अपने फायदे हैं. खैर, बाबा तो चले गए पर पटना और बिहार की राजनीति को एक नया मसला मिल गया है. वो मसला है अशोक राजपथ पर पटना कॉलेज के सामने स्थित 300 साल पुराना ब्रह्म स्थान.
बताया जा रहा है कि इस ब्रह्म स्थान को डबल डेकर पुल के निर्माण के लिए तोड़े जाने का प्रस्ताव है. इस प्रस्ताव के खिलाफ दुर्गा मंदिर के पुजारी अरविंद पाठक पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हैं. अब बीजेपी की ओर से पुजारी अरविंद पाठक को समर्थन देने की घोषणा की गई है और इसका ऐलान किया है बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने.
गिरिराज सिंह मंदिर के तोड़े जाने के फैसले का कर रहे विरोध
शुक्रवार को गिरिराज सिंह मंदिर तोड़े जाने के फैसले के खिलाफ और मंदिर पक्ष के समर्थन में धरनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि भारत की पहचान सनातन से है. सनातन की पहचान मां दुर्गा, भगवान राम, श्रीकृष्ण, माता लक्ष्मी और काली से है.
गिरिराज के बयान पर भड़क गए राजद प्रवक्ता
गिरिराज सिंह के बयान के बाद राजद की ओर से प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, मंदिरों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. यह आस्था का विषय है. मंदिरों को कोई पार्टी अपनी कॉपीराइट न समझे. मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब बीजेपी नीतीश कुमार के साथ सरकार में थी, तभी मंदिर को हटाने का फैसला हुआ था. उस समय बीजेपी क्यों चुप थी.
जेडीयू ने भी साधा भाजपा पर निशाना
वहीं जेडीयू की ओर से एमएलसी और पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, गिरिराज सिंह को पता होना चाहिए कि भाजपा विधायक नितिन नवीन जब पथ निर्माण मंत्री थे, तब उनके कार्यकाल में सड़क का एलाइनमेंट पूरा हुआ था. उसी समय सड़क में आने वाले धार्मिक संरचना को हटाने का फैसला लिया गया था.
जेडीयू के नितिन नवीन से मिला जवाब
जेडीयू के इस बयान पर भाजपा विधायक नितिन नवीन भड़क गए और उन्होंने नीरज कुमार के पास जानकारी का अभाव होने की बात कहते हुए कहा- वे जब सड़क एवं परिवहन मंत्री थे तो मंदिर हटाने का उन्होंने विरोध किया था.
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