Pollution: देशभर में पराली के जलाने की वजह से फैल रहे प्रदूषण से होनेवाले नुकसान से सभी वाकिफ हैं. अब इसको लेकर रिलायंस की तरफ से एक ऐसा कार्य किया जा रहा है जो काफी सराहनीय है. दरअसल रिलायंस ने इस पराली से प्रदूषण नहीं ईंधन तैयार करने का काम शुरू किया है.
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नई दिल्ली: Pollution: देशभर में पराली के जलाने की वजह से फैल रहे प्रदूषण से होनेवाले नुकसान से सभी वाकिफ हैं. अब इसको लेकर रिलायंस की तरफ से एक ऐसा कार्य किया जा रहा है जो काफी सराहनीय है. दरअसल रिलायंस ने इस पराली से प्रदूषण नहीं ईंधन तैयार करने का काम शुरू किया है. इसके साथ ही कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट, जैविक खाद का उत्पादन की दिशा में भी रिलायंस आगे बढ़ा है. मतलब बेहतर कृषि उत्पादन के साथ बेहतर स्वास्थ्य की कामना के साथ रिलायंस ने इस काम को शुरू किया है.
बता दें कि सिर्फ एक साल पहले जैव ऊर्जा के क्षेत्र में उतरने वाला रिलायंस, पराली से ईंधन बनाने वाला देश का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में कंपनी ने पहला कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित किया है. इसके लिए रिलायंस ने स्वदेशी तौर पर कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) तकनीक विकसित की है. इस तकनीक का विकास रिलायंस की जामनगर स्थित दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी में किया गया. इसकी जानकारी रिलायंस की 46वीं वार्षिक आम सभा में कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने दी.
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वार्षिक आम बैठक में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट की जानकारी देते हुए मुकेश अंबानी ने कहा, 'हमने रिकॉर्ड 10 महीने में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में प्लांट लगाया है, हम तेजी से पूरे भारत में 25 प्लांट्स और लगाएंगे. हमारा लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 100 से अधिक प्लांट लगाने का है. इन प्लांट्स में 55 लाख टन कृषि-अवशेष और जैविक कचरा खप जाएगा. जिससे लगभग 20 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा और सालाना 25 लाख टन जैविक खाद का उत्पादन होगा.'
बताते चलें कि भारत में लगभग 23 करोड़ टन गैर-मवेशी बायोमास (पराली) का उत्पादन होता है और इसका अधिकांश भाग जला दिया जाता है. जिससे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है. सर्दियों के दौरान राजधानी दिल्ली समेत कई भारतीय शहर पराली जलाने के कारण गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं. रिलायंस की इस पहल से वायु प्रदूषण में खासी कमी आने की उम्मीद है.
पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी रिलायंस हाथ आजमाने को तैयार है. पवन चक्कियों के ब्लेड बनाने में इस्तेमाल होने वाले कार्बन फाइबर का बड़े पैमाने पर निर्माण कर, कंपनी इन ब्लेड्स की कीमत कम रखना चाहती है. इसके लिए रिलायंस दुनिया भर की विशेषज्ञ कंपनियों से हाथ मिला रही है. रिलायंस का लक्ष्य 2030 तक कम से कम 100 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का है.