Raksha Bandhan 2022: राखी बांधने से पहले लगाएं भाई को अक्षत-तिलक, जानिए महत्व
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Raksha Bandhan 2022: राखी बांधने से पहले लगाएं भाई को अक्षत-तिलक, जानिए महत्व

Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन में तिलक, लगाया जाना वीरता, शौर्य, विजय का आशीष का प्रतीक है. तिलक को सीधे तौर पर ईश्वर का चिह्न माना जाता है. जिस व्यक्ति के माथे पर तिलक लगा होता है तो उस पर एक तरीके भगवान की साक्षात छाप लग जाती है.

Raksha Bandhan 2022: राखी बांधने से पहले लगाएं भाई को अक्षत-तिलक, जानिए महत्व

पटनाः Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन में बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं. यह त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है. इसके साथ ही भाई, बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं. इस दौरान बहनें भाई के मस्तक पर रोली-कुमकुम से तिलक करती हैं. हल्दी और अक्षत लगाती हैं. विशेष मनोकामना में केसर तिलक भी करती हैं. असल में माथे पर जिस तरह का तिलक किया जाता है, उन सभी का बहुत महत्व है. इसके पीछे प्राचीन आध्यात्म का विज्ञान है जो हमारी परंपराओं में शामिल है. जानिए क्यों लगाती हैं, बहनें, भाइयों को तिलक और इसका क्या है महत्व

ये है तिलक लगाने का अर्थ
रक्षाबंधन में तिलक, लगाया जाना वीरता, शौर्य, विजय का आशीष का प्रतीक है. तिलक को सीधे तौर पर ईश्वर का चिह्न माना जाता है. जिस व्यक्ति के माथे पर तिलक लगा होता है तो उस पर एक तरीके भगवान की साक्षात छाप लग जाती है. लक को प्यार, सम्मान,पराक्रम और विजय का प्रतीक माना गया है.ऐसा माना गया है, कि जब भी कोई शुभ कार्य के लिए घर से बाहर जाता है, तो उसके काम के पूरा होने की कामना करते हुए, घर की महिलाएं पुरुषों का तिलक करती है.इसलिए भाई को रक्षा सूत्र बांधते वक्त बहनों का भाई को तिलक करना बेहद शुभ माना गया है.

ये होता है तिलक का लाभ
तिलक का वैज्ञानिक कारण भी है. माथे के बीच में आज्ञा चक्र होता है. इसे अग्नि चक्र का स्थान भी कहते हैं. इस तरह तिलक लगाने पर जब माथे के मध्य की नसों पर हल्का दबाव पड़ता है तो इससे पीयूष ग्रंथि एक्टिव होती है. इसके अलावा तंत्रिका तंत्र पर भी सकारात्मक असर पड़ता है. व्यक्ति के याददाश्त और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, निर्णय लेने की क्षमता प्रबल होती है, बौद्धिक और तार्किक क्षमता बढ़ती है, साथ ही साथ बल और बुद्धि में भी वृद्धि होती है.

अक्षत देता है अखंडता का वरदान
इसी तरह अक्षत का भी अपना महत्व है. चावल के दानों के संस्कृति में अक्षत कहते हैं. इसका शाब्दिक अर्थ है, जिसका क्षय न हो. जो हमेशा अखंडित रहे. भाइयों के मस्तक पर अक्षत वारकर बहनें उनकी अखंड विजय को सुनिश्चित करती हैं. इसके अलावा इस तरह से बहनें अपने भाई के जीवन में आने वाली हर मुश्किल को हर लेती हैं. तिलक में कच्चे चावल को मिलाकर माथे पर लगाते हैं, तो व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होते है, और बुरी शक्तियां भी उससे दूर रहती हैं.

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