पटना के बिहार म्यूजियम स्थित लाइब्रेरी किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है. बेहद खूबसूरत इंटीरियर आकर्षक पेंट और चमकदार लाईट से इसे तैयार किया गया है.
बिहार की कला संस्कृति और विरासत से जिन्हें लगाव है, वो यहां अधिक आते है. बिहार म्यूजियम के स्टडी सेंटर में अभी एक साथ 40 से 50 लोगों के बैठने की क्षमता है.
यहां की लाइब्रेरी में विभिन्न विषयों से संबंधित लगभग 5000 पुस्तकें उपलब्ध हैं. कला, संस्कृति, पुरातत्व, साहित्य और अनुसंधान से संबंधित पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं. बिहार म्यूजियम की लाइब्रेरी में रखी किताबों को शोधार्थी और छात्र आकर पढ़ सकते हैं.
म्यूजियम का स्टडी सेंटर सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक संचालित होता है. आर्ट एंड क्राफ्ट की पुस्तक है. साहित्य की भी पुस्तक है. यहां 4000 से ज्यादा पुस्तकउपल्ब्ध है. विभिन्न राज्यों के कला संकृति की झलक भी इस लाइब्रेरी में दिखाई देती है.
100 से 150 वर्ष पुरानी पुस्तक भी मौजूद हैं, जिसमें मुख्य रूप से धार्मिक ग्रंथ और बिहार के इतिहास से जुड़ी हुई उन सभी किताबों का यहां संग्रह है, जिससे बिहार के संस्कृत और पौराणिक पहलुओं पर विशेष अध्ययन किया जा सकता है. बाहरी देश से भी रिसर्चर इस लाइब्रेरी में आकर रिसर्च करते हैं किताबों को देखते हैं और जो किताबें पसंद आती है उसे खरीद कर ले भी जाते हैं .
यहां रामायण की प्रति भी मौजूद है, जिसमें चित्र के माध्यम से दर्शाई गई है. बिहार म्यूजियम वर्ल्ड क्लास म्यूजियम के साथ लायब्रेरी है. बिहार सरकार के कई बड़े आधिकारी यहां के रेगुलर पाठक है. रिसर्च बुक और बिहार पर केंद्रीय अधिकाश पुस्तक यहां मौजुद है.
बिहार म्यूजियम के एडिशनल डायरेक्टर अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि जहां कला साहित्य संस्कृति पर केंद्रित ज्यादा पुस्तक है. इसके अलावा हिंदी साहित्य और देश के विभिन्न राज्यों के कला संस्कृति यहां उपलब्ध है. यहां छात्र रिसर्चर और बिहार के बड़े-बड़े अधिकारी छुट्टी के समय में आकर किताबों का अध्ययन करते हैं .
इस लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे पाठकों ने भी माना की पटना में यह एक बेहतर व्यवस्था की गई है. यहां आकर आपको ऐसा महसूस होता है कि आप किसी बड़े मेट्रो शहर में है जिस तरह की किताब हमने ढूंढने का प्रयास किया यहां हमें प्राप्त हुआ है.
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