Postal Journey: पटना ने दिया था विश्व को पहला डाक टिकट, जानिए पूरा इतिहास
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Postal Journey: पटना ने दिया था विश्व को पहला डाक टिकट, जानिए पूरा इतिहास

Patna Head Post Office: भारत में वारेन हेस्टिंग्स (1774-1785) के प्रशासन के दौरान डाकघर को पहले से बेहतर स्थिति में रखा गया. विश्व को पहले डाकघर की स्थापना की गई थी. इतना ही नहीं विश्व का पहला कॉपर स्टाम्प भी पटना से ही जारी किया गया था. कॉपर डाक टिकट भारत के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के प्रशासन के दौरान ईस्ट इंडिया बंगाल प्रेसीडेंसी की तरफ से जारी किया गया था.

विश्व का पहला डाक टिकट

Patna Head Post Office: बिहार की राजधानी पटना ने पूरी दुनिया में बहुत कुछ दिया है. विश्व को पहले डाकघर की स्थापना की गई थी. इतना ही नहीं विश्व का पहला कॉपर स्टाम्प भी पटना से ही जारी किया गया था. पटना के प्रधान डाकघर ने विश्व को पहला डाक टिकट दिया था. इसके बारे में बिहार के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने सारी जानकारी मीडिया को दी. पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने 21 नवंबर, 2024 दिन गुरुवार को कॉपर स्टाम्प जारी होने के 250 वर्ष और पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में माई स्टैम्प जारी किया. 

बिहार के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने कहा कि 31 मार्च 1774 को तत्कालीन अजीमाबाद और अब बिहार की राजधानी पटना में डाक के प्रसारण के लिए 'कॉपर टिकट' नामक पहला 'प्रीपेड टोकन' जारी किया गया, जिसने संचार के इतिहास में क्रांति ला दी. उन्होंने कहा कि कॉपर डाक टिकट भारत के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के प्रशासन के दौरान ईस्ट इंडिया बंगाल प्रेसीडेंसी की तरफ से जारी किया गया था. उस समय थॉमस इवांस प्रेसीडेंसी में पोस्टमास्टर जनरल थे और चार्ल्स ग्रीम पटना के डिप्टी पोस्टमास्टर जनरल थे.

जनवरी 1774 में भारत के प्रथम डाकघर विभाग की स्थापना

जनवरी 1774 में भारत के प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने भारत के प्रथम डाकघर विभाग की स्थापना की व्यवस्था करनी शुरू की. 7 फरवरी को रेडफर्न को पोस्टमास्टर जनरल नियुक्त किया गया. उन्हें निर्देश दिया गया कि वे निर्धारित योजना के अनुसार स्थापना करें. भारत में वारेन हेस्टिंग्स (1774-1785) के प्रशासन के दौरान डाकघर को पहले से बेहतर स्थिति में रखा गया. निजी संचार के परिवहन के लिए भी सीमित सीमा तक डाक उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए गए.

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एक पोस्ट मास्टर जनरल नियुक्त किया गया, और पहली बार 100 मील (160 किलोमीटर) के लिए 2 आना (एक रुपये का 1/8वां हिस्सा) की दर से डाक शुल्क लिया गया. ईस्ट इंडिया कंपनी के दायरे में डाक के अग्रिम भुगतान के प्रतीक के रूप में 2 आना मूल्य के छोटे तांबे के टिकट पेश किए गए. इन सुधारों में बंगाल प्रांतों में पटना, मुर्शिदाबाद, गंजम, ढाका, दीनपुर, वाराणसी और कोलकाता जैसे विभिन्न स्थानों पर डाकघरों की स्थापना शामिल थी. इसके अलावा पैसे के उपयोग से बचा गया. बचे हुए ताम्र टिकट केवल पटना डाकघर द्वारा जारी किए जाते हैं, जिसमें पटना का नाम अजीमाबाद होता है.

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