सरकार मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए लाख प्रयास करें, लेकिन मधुबनी में ये सफल होते नहीं दिख रहा है. डीआरयू की टीम ने विगत पांच माह में 637 नवजात शिशुओं की ट्रैकिंग की. अप्रैल से अगस्त तक विभिन्न अस्पतालों में हुई डिलीवरी की जांच की है.
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मधुबनी : मधुबनी जिले का सरकारी अस्पताल इन दिनों मौत का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले पांच माह के अंदर 46 नवजात मासूम समेत 18 प्रसूता की मौत हो चुकी है. बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था डीआरयू रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है.
पांच माह में 637 नवजात शिशुओं की हुई ट्रैकिंग
बता दें कि सरकार मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए लाख प्रयास करें, लेकिन मधुबनी में ये सफल होते नहीं दिख रहा है. डीआरयू की टीम ने विगत पांच माह में 637 नवजात शिशुओं की ट्रैकिंग की. अप्रैल से अगस्त तक विभिन्न अस्पतालों में हुई डिलीवरी की जांच की है. इस दौरान 46 बच्चों की मौत हुई जिसमें 27 मृतक नवजात जीरो से दो दिन का पाया गया. सभी नवजात तीस दिनों के अंदर दम तोड़ दिया. वहीं पांच सौ नवजात का वजन दो किलो से कम पाया गया जो काफी कमजोर दिख रहा था. सबसे अधिक चार महिला की मौत बिस्फी और तीन गर्भवती महिला की मौत मधेपुर अस्पताल में हुआ है.
चिकित्सकों की लापरवाही से हो रही मौत
सिविल सर्जन सुनील झा ने भी स्वीकार किया है कि मौत का आंकड़ा अधिक है और इसमें सुधार की बात कहीं नहीं है. लोगों की मानें तो अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही से दर्जनों मौतें हुई है. बहरहाल मामला जो भी हो लेकिन दर्जनों मौतों के जिम्मेवार लोगों पर क्या कार्रवाई होगी.
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