Narali Purnima 2023: धार्मिक उत्सव के साथ साथ लोग बहुत सारे रंग-बिरंगे मेले, मस्ती और खुशियों के साथ मनाते हैं. लोग संगीत, नृत्य, और खासकर लोकनृत्य करके इस दिन का आनंद उठाते हैं. नराली पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से भजन, कीर्तन, आरती और पूजा के अवसर पर लोग एकत्रित होकर भजन संध्या करते हैं.
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पटना: Narali Purnima 2023: नराली पूर्णिमा एक हिंदू त्योहार है. इस त्योहार को श्रावण मास में भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कुछ अन्य राज्यों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस खास दिन में भगवान वरुण देव की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मछुआरों द्वारा नराली पूर्णिमा के दिन समुद्र के देवता वरुण देव को प्रसन्न किया जाता है. मछुआरे इस त्योहार को इसलिए मनाते हैं ताकि इनके घर के अंदर सुख शांति और सदैव बरकत बनी रहे.
नराली पूर्णिमा पर वरुण देवी की होती है पूजा
नराली पूर्णिमा को 'नारळ पौर्णिमा' या 'श्रावण पौर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन नारियल (नारिकेल, खोपरा) का उपयोग विशेष रूप से पूजा में किया जाता है. इस दिन लोग भगवान वरुण और समुंद्र के देवताओं की पूजा करते हैं. इस दिन ताजा नारियल, फूल, अक्षत, सुगंधित धूप, आरती की थाली, और प्रसाद लेकर लोग समुद्र के किनारे जाते हैं और इन्हें समर्पित करते हैं. साथ ही जल में स्नान करने का भी परंपरिक महत्व होता है.
इस दिन कुछ लोग विशेष रूप से वरुण देव के अलावा शिव और पार्वती की पूजा करते हैं और शिवलिंग को जल, दूध, घी और नारियल पानी से स्नान कराते हैं. यह दिन शिव-पार्वती का विवाह भी माना जाता है, इसलिए कुछ स्थानों पर शिवलिंग को देवी पार्वती के साथ जोड़कर पूजा किया जाता है. इस दिन को धार्मिक उत्सव के साथ साथ लोग बहुत सारे रंग-बिरंगे मेले, मस्ती और खुशियों के साथ मनाते हैं. लोग संगीत, नृत्य, और खासकर लोकनृत्य करके इस दिन का आनंद उठाते हैं. नराली पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से भजन, कीर्तन, आरती और पूजा के अवसर पर लोग एकत्रित होकर भजन संध्या करते हैं.
नोट: यदि आप यह त्योहार मनाने की संबंधित नियमों और परंपराओं को जानना चाहते हैं तो स्थानीय पंडित या समुदाय के धार्मिक अधिकारी से परामर्श करें.
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