बाढ़ को लेकर रोहिणी आचार्य ने सरकार को घेरा, कहा- इस तबाही को करना चाहिए राष्ट्रीय आपदा घोषित
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बाढ़ को लेकर रोहिणी आचार्य ने सरकार को घेरा, कहा- इस तबाही को करना चाहिए राष्ट्रीय आपदा घोषित

Rohini Acharya: रोहिणी आचार्या ने कहा कि बाढ़ से पीड़ित लोग सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार अब तक यह ही तय करने में लगे हैं कि कहां-कहां बाढ़ आई है. बाढ़ से होने वाली समस्याओं के साथ-साथ सबसे बड़ी चुनौती बाढ़ पीड़ितों के विस्थापन की है, लेकिन इस दिशा में सरकार की कोई तैयारी नहीं दिख रही है.

 

बाढ़ को लेकर रोहिणी आचार्य ने सरकार को घेरा, कहा- इस तबाही को करना चाहिए राष्ट्रीय आपदा घोषित

पटना: बिहार के कई जिलों में इस समय बाढ़ की गंभीर स्थिति है. लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने इस पर चिंता जाहिर की है और मांग की है कि बिहार में बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. उन्होंने कहा कि हर साल बाढ़ से राज्य की बड़ी आबादी तबाह हो जाती है, लेकिन सरकार की तैयारियां केवल कागजों तक सीमित रहती हैं.

रोहिणी ने सोशल मीडिया पर कहा कि बिहार के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन राहत और बचाव के काम में सरकार की सक्रियता न के बराबर है. ज्यादातर इलाकों में सरकारी मदद या तो पहुंची नहीं है या फिर नाकाफी है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि लोग भगवान भरोसे हैं और सरकार सिर्फ हवाई सर्वेक्षण कर अपने कर्तव्यों की औपचारिकता पूरी कर रही है. जमीनी स्तर पर राहत कार्य बेहद धीमा और असंतोषजनक है.

साथ ही रोहिणी ने बाढ़ से विस्थापित हुए लोगों के लिए सरकार की तैयारी पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ित लोग सरकारी मदद की प्रतीक्षा में हैं, लेकिन सरकार अब तक बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों की सही जानकारी तक इकट्ठा नहीं कर पाई है. सबसे बड़ी समस्या बाढ़ से बेघर हुए लोगों के विस्थापन और पुनर्वास की है, लेकिन इस दिशा में कोई योजना नहीं बन रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के 18-20 जिले बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं और लाखों लोग अपनी जिंदगी मुश्किल हालात में गुजारने को मजबूर हैं. घरों को हुए नुकसान को लेकर भी सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

रोहिणी ने यह भी कहा कि बाढ़ से प्रभावित इलाकों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार से एक बड़े वित्तीय पैकेज की जरूरत है. लेकिन अफसोस है कि अभी तक इस पर केंद्र सरकार का कोई स्पष्ट रुख नहीं दिख रहा है. राज्य सरकार भी संसाधनों और धन की कमी से जूझ रही है, जिससे हालात और खराब हो गए हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए ताकि सही तरह से राहत और पुनर्निर्माण का काम किया जा सके.

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