Gupta Navratri Dhumavati Mata Story: पौराणिक कथाओं में मां की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मां का आविर्भाव दक्ष यज्ञ से हुआ था.
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पटनाः Gupta Navratri Dhumavati Mata Story: गुप्त नवरात्रि में सातवां दिन मां धूमावती का होती है. मां धूमावती तंत्र विद्या की सातवीं शक्ति हैं और तंत्र पूजा में कृत्या, कारण, मारण प्रक्रियाओं जैसी विद्या की सिद्धि भी इनसे ही होती है. देवी का स्वरूप विधवा और उदासीनता का है, इसलिए गृहस्थ और पारिवारिक परिवेश में मां की पूजा सुहागन स्त्रियां नहीं करती हैं. देवी के हाथ में सूप दारिद्रता का प्रतीक है और धूम जैसा सफेद रूप शोक का. देवी की सवारी कौआ है और वह एक खुले रथ पर विराजित हैं, जिसे कौआ खींचता है. अपने शोक स्वरूप के बावजूद मां भक्तों का कल्याण ही करती हैं. देवी का यह स्वरूप रोग और शोक का नाश करने वाला है.
दक्ष यज्ञ से हुई है उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं में मां की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मां का आविर्भाव दक्ष यज्ञ से हुआ था. जब देवी सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में बिना बुलाए ही शामिल होने पहुंच गईं, तब प्रजापति दक्ष ने उन्हें बहुत कड़वे वचन कहे. दक्ष ने कई प्रकार से सती का अपमान किया और फिर जब इससे भी मन नहीं भरा तो उसने महादेव का भी बार-बार अपमान किया. इससे अपने पति की बात टालकर, जिद करते पिता के घर आईं देवी सती को बहुत ग्लानि पहुंची. उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण दे दिए. देवी के ऐसा करते ही यज्ञ से तीव्र धूम्र (धुआं) उठा. इस धुएं की आकृति ठीक सती जैसी ही थी. यानी सती का शरीर नष्ट हो गया और धूम्र ही बच गया. यह बचा हुआ धुआं ही धूमावती माता है, जिनके अंग काले, बाल खुले-बिखरे हुए और वस्त्र सफेद हैं. कहते हैं कि सती के शोक का स्वरूप वह धुआं संसार में सारे ओर फैल गया, जिससे शोक और दुख की उत्पत्ति हुई. इसके पहले संसार में सुख ही सुख था. धूमावती मां की पूजा इसलिए की जाती है कि वह जीवन में घेर रहे दुख को अपने में समेट लें और सुख प्रदान करें.
जब सती ने महादेव को निगल लिया
एक और कथा बहुत प्रचलित है. कहते हैं कि देवी सती कैलाश के वातावरण की आदी नहीं थीं. एक दिन वह और महादेव भ्रमण कर रहे थे. इसी दौरान देवी सती को भूख लगी, लेकिन महादेव ने कहा कि वह तो भांग-धतूरा, बेल पत्र ही ग्रहण करते हैं. भूख के कारण सती के अंदर की आदिशक्ति जागने लगे और वह उसे नियंत्रित नहीं कर सकीं. इसलिए देवी ने क्रोध में आकर महादेव को ही निगल लिया. तब भगवान विष्णु ने आकर देवी की प्रार्थना कर उन्हें शांत किया और उन्हें महादेव को मुक्त कराया. महादेव के संसार में नहीं रहने से संसार में अंधकार छा गया और देवी सती अंजाने में ही विधवा हो गईं. इस तरह उन्हें धूमावती नाम मिला. गुप्त नवरात्र के सातवें दिन देवी के स्वरूप की पूजा होती है.
अगर आप अपने विरोधियों को परास्त करना चाहते हैं तो उनके विरुद्ध ॐ धूम धूम धूमावती फट् का जाप करें. हालांकि ये सिद्ध पूजा और साधना कठिन हैं. ऐसा नहीं है कि मंत्र जाप कर लिया फल मिल गया. इसे पूरे विधान के साथ करना होता है. इस मंत्र का जाप शुभकर्मों के फल के लिए किया जा सकता है और सफलता पाई जा सकती है.