Ganesh Chaturthi 2022: गणेश पूजन में क्यों करते हैं सिंदूर का प्रयोग, जानिए सिंदूरासुर वध की कथा
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Ganesh Chaturthi 2022: गणेश पूजन में क्यों करते हैं सिंदूर का प्रयोग, जानिए सिंदूरासुर वध की कथा

Ganesh Chaturthi 2022: आदिकाल में जब सिंदूरासुर नामक दैत्य ने देवताओ, मनुष्यों चराचर जगत में रहने वाले सभी प्रकार के जीवों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था, तब गणेश जी ने उसरा वध किया था.

Ganesh Chaturthi 2022: गणेश पूजन में क्यों करते हैं सिंदूर का प्रयोग, जानिए सिंदूरासुर वध की कथा

पटनाः Ganesh Chaturthi 2022: गणेश जी की पूजा के दौरान उन्हें कई वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. मोदक उनका प्रिय है. दूब उन्हें अच्छी लगती है. इसके अलावा गणेश जी को सिंदूर भी अर्पित किया जाता है. सिंदूर अर्पित करना विजय का प्रतीक है. इसकी कथा एक असुर से जुड़ी हुई है. 

सिंदूरासुर ने किया अत्याचार
आदिकाल में जब सिंदूरासुर नामक दैत्य ने देवताओ, मनुष्यों चराचर जगत में रहने वाले सभी प्रकार के जीवों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था. जिसके बाद सिंदूरासुर सभी को कष्ट,अशांति परेशानी और पीड़ा देने लगा. इसको लेकर सभी देवता एक मत होकर भगवान महादेव शिव के पास गए. सभी देवताओं ने शिव जी से इस परेशानी का हल और अपनी रक्षा हेतु उपाय पूछा.

गणेश जी ने लिया जन्म
समाधि अवस्था में लीन भोले नाथ की आराधना में काफी वर्ष बीत गए थे. तब आकाश वाणी के द्वारा देवताओं को सन्देश मिला कि ”भगवान शिव के अंश से एक पुत्र का जन्म होगा, उसी के द्वारा सिंदूरासुर का वध होगा. इससे इस संपूर्ण सार्वभौमिक संसार का कल्याण होगा. तब सभी देवता प्रसन्न चित से उस समय की प्रतीक्षा करने लगे. उधर गणेश जी ने वरेण्य नाम के एक राजा को वरदान दिया था कि वह उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे. जब शिवजी के अंश के रूप में श्रीगणेश ने राजा के घर जन्म लिया तो वहां चार हाथ वाले बालक को देखकर सभी भयभीत हो गए. राजा ने मंत्रियों आदि से परामर्श करके उस बालक को जंगल में फिकवा दिया.

पाराशर मुनि ने किया पालन
कथा के मुताबिक, उधर से पाराशर मुनि गुजर रहे थे. उन्होंने बालक को देखा और उसके शुभ लक्षणों को पहचान कर उसे अपनी कुटिया में ले आए और उनका पालन किया. गणेश जी जब 9 वर्ष के हुए तब तक सिंदूरासुर धरती पर भी आतंक फैलाने लगा था. मनुष्य के पुत्र के रूप में गणेश जी ने उसका सामना किया और उसका वध कर दिया. इस दौरान उनका पूरा शरीर सिंदूरा के रक्त से लाल हो गया. तब माता पार्वती ने उन्हें वरदान दिया कि जो कोई भी तुम्हें सिंदूर अर्पित करेगा वो अपने सारे कष्टों से मुक्ति पाएगा. 

सनातन परंपरा में सिंदूर को मंगल यानी शुभता का प्रतीक भी माना जाता है. इसका उपयोग करने से नकारात्मकता दूर होती है, बुरी शक्तियां निष्प्रभावी होती हैं. इस वजह से भक्तजन गणेश जी को सिंदूर लगाते हैं, ताकि उनसे बुरी शक्तियां दूर रहें और उनके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न आए. इस कारण से गणेश जी या अन्य पूजा में सिंदूर का उपयोग करते हैं.

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