Hooch Tragedy: राजीव रंजन ने कहा, जहरीली शराब से मौत कोई नयी बात नहीं है. वास्तव में इस प्रकार की मौतों को होने रोकना, बिहार में शराबबंदी लागू करने के उद्देश्यों में से एक था.
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पटना: Hooch Tragedy: भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व पिछड़े समाज के नेता राजीव रंजन ने जहरीली शराब से मरने वाले लोगों को मुआवजा देने की मांग को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि जहरीली शराब से लोगों की हुई मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके दोषी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि शराबबंदी कानून के मुताबिक शराब बेचने के साथ-साथ शराब पीना भी अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे में सवाल उठता है कि जान बुझ कर कानून तोड़ने पर किसी को मुआवजा कैसे दिया जा सकता है.
शराब से मौत, सोच-समझकर किया आपराधिक कृत्य
उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से मौत कोई नयी बात नहीं है. वास्तव में इस प्रकार की मौतों को होने रोकना, बिहार में शराबबंदी लागू करने के उद्देश्यों में से एक था. इसके बावजूद यदि कोई शख्स शराब पीता है तो यह सोच समझ कर किया गया आपराधिक कृत्य है. यदि आज इस मामले में मुआवजा दिया गया तो कल इसके आधार पर हत्या और लूट जैसे घृणित अपराध करने वाले अपराधी भी मुआवजा मांगने लगेंगे.
गलत परिपाटी को जन्म देगा मुआवजा
राजीव रंजन ने कहा कि आपराधिक कृत्यों में मुआवजे की मांग एक गलत परिपाटी को जन्म देगी. शराब पीने वाले लोग इसे बीमा की तरह लेने लगेंगे और इससे इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी होगी. इसीलिए इस तरह के मामलो में मुआवजे की मांग करने वाले नेताओं को समझना चाहिए कि उनकी मांग अनुचित है.
खजूरबन्नी कांड का दिया उदाहरण
खजूरबन्नी कांड की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने नियम बनाया था कि जहरीली शराब से मौत होने पर दोषियों से जुर्माना लेकर भुक्तभोगियों के परिजनों के जीवकोपार्जन के लिए पैसा दिया जाएगा. लेकिन खजूरबन्नी में ऐसे ही मुआवजा बांट दिए जाने की गलती के कारण आज इस तरह की घटना होने पर हर जगह मुआवजा देने की मांग उठने लगी है. सरकार को चाहिए कि नियमों को तोड़कर खजूरबन्नी में मुआवजा देने वाले अधिकारी पर कारवाई करे.
जहरीली शराब से मरने वालों के प्रति संवेदना जताते हुए पूर्व विधायक ने कहा कि जहरीली शराब के कारण मरने पर पैसा देने का प्रावधान जरुर बंद हो, लेकिन सरकार को मरने वालों के परिजनों को जरुर देखना चाहिए. जरुरतमन्द परिवारों के जीवकोपार्जन के लिए सरकार को कदम उठाने चहिये लेकिन मुआवजे के तौर पर नहीं.