Trending Photos
Patna: लोकआस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार से शुरू हो गया. इस पर्व का पौराणिक महत्व तो है ही, इसके अलावा यह पर्व स्वच्छता, सादगी और पवित्रता का भी संदेश देता है. सबसे बड़ी बात है कि इस अनुष्ठान या पर्व में मजहब भी आड़े नहीं आता. यही कारण कहा जाता है कि यह पर्व साम्प्रदायिक सौहार्द की पाठ भी पढ़ाता है. बिहार के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम महिलाएं और पुरुष इस छठ पर्व को पूरे सनातन पद्धति और रीति-रिवाज से करती हैं.
गोपालगंज और वैशाली जिले के कई गांवों के मुस्लिम घरों में छठ के गीत गूंज रहे हैं. यही नहीं छठ पर्व में उपयोग होने वाले मिट्टी के चूल्हे, धागा (बद्धी) और अरता पात भी अधिकांश इलाकों में मुस्लिम परिवार की महिलाएं बनाती हैं. गोपालगंज जिले के संग्रामपुर गांव में मुस्लिम समुदाय 8 महिलाएं 20 वर्षों से छठी मैया का व्रत कर रही हैं.
सूर्योपासना के इस महापर्व छठ व्रत की शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरुआत हो चुकी है. शनिवार को खरना है. रविवार को अस्ताचलगामी और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. सबसे गौर करने वाली बात है कि इनकी न केवल छठ व्रत को लेकर श्रद्धा है बल्कि इनका पूरा विश्वास भी है.
संग्रामपुर गांव की रहने वाली शबनम खातून, संतरा खातून, नूरजहां खातून का मानना है कि उनके घर पर छठी मईया की कृपा बरसी तभी घरों में बच्चों की किलकारियां गूंजी. आज इनका विश्वास छठी मईया पर बना हुआ है. इनका मानना है कि वे पूरी शुद्धता और रीति रिवाज, नियम के साथ छठ पर्व करती हैं. उनके घर के पुरुष सदस्य भी इसमें सहयोग करते हैं.
इधर, वैशाली जिले के लालगंज और सराय थाना क्षेत्रों में भी कई मुस्लिम महिला और पुरुष प्रति वर्ष छठ पर्व करती हैं. इन लोगों का कहना है कि इस पर्व के बीच मजहब कभी आड़े नहीं आता. वह अन्य हिन्दू महिलाओं के साथ पर्व की तैयारी करती हैं और एक ही घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देती हैं.
(इनपुट आईएएनएस के साथ)