बिहार सरकार क्लास नौ और दस में पढ़ने वाले बच्चों को साइकिल देती है. पिछले डेढ़ दशक से शुरू इस योजना से लाखों छात्र और छात्राओं लाभान्वित हुए, लेकिन इस स्कूल के छात्रों को इसका लाभ नहीं दिखता है. स्कूल कैंपस में टीचर्स की खड़ी बाइक तो दिख रही है
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पटना : बिहार में शिक्षा का बजट 39 हजार करोड़ से अधिक का है. करोड़ों की संख्या में छात्राएं बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. कहीं बिना शिक्षकों के स्कूल चल रहे हैं तो कहीं प्रयोगशाला के उपकरण बिल्डिंग के अभाव में धूल फांक रहे हैं. ये स्थिति पिछले एक सालों से नहीं बल्कि कई सालों से चल रही हैं. लाखों की संख्या में छात्रों ने बिना शिक्षकों के ही सिलेबस पूरा कर लिया. आपको सुनने में आश्चर्य लगेगा, लेकिन बिहार में ऐसा ही होता है. आज हम पटना के बाहरी इलाके में मौजूद प्राथमिक विद्यालय जगनपुरा ले चलेंगे. जहां इसी स्कूल के कैंपस में एक मध्य विद्यालय में जहां साइंस में नंबर बिना किसी प्रायोगिक परीक्षा के ही दे दिए गए.
पटना का न्यूजगनपुरा शहर का बाहरी इलाका है. इस इलाके में कई नामी निजी विद्यालय हैं जहां साधन संपन्न घरों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. इसी न्यू जगनपुरा इलाके में ही मौजूद है प्राथमिक विद्यालय जगनपुरा.आमतौर पर पटना में इमारत के अभाव में मिडिल स्कूलों में प्राइमरी स्कूलों के चलने की बात सामने आती है लेकिन यहां उल्टा हुआ है. यहां प्राथमिक विद्यालय जगनपुरा में जो स्कूल चलता है उसका नाम है नवीन आदर्श उच्च विद्यालय,कंकड़बाग है. स्कूल के आखिर का ये शब्द कंकड़बाग आपको सोचने पर मजबूर कर देगा. दरअसल नवीन आदर्श उच्च विद्यालय कंकड़बाग पहले कंकड़बाग में मौजूद था, लेकिन दस साल पहले इसे जगनपुरा में शिफ्ट कर दिया गया.
इस स्कूल में एक समस्या शिक्षकों की भारी कमी भी है. गणित ,विज्ञान के शिक्षक जरूर हैं लेकिन संस्कृत,भूगोल,इतिहास,अर्थशास्त्र और उर्दू के शिक्षक नहीं है. हमने बच्चों से गणित से जुड़े सवाल पूछे जिनका जवाब देने में वो सक्षम थे. क्योंकि ब्लैकबोर्ड पर गणित से जुड़े सवालों के हल बताए जा रहे थे, लेकिन अर्थशास्त्र,भूगोल से जुड़े सामान्य सवाल भी छात्रों को भारी लग रहे थे. अर्थशास्त्र से जुड़ा सवाल ,भारत में कौन सी अर्थव्यवस्था काम करती है इसका जवाब छात्रों के पास नहीं थे. भूगोल से जुड़ा ये सवाल कि, चाय और कॉफी की पैदावार भारत और दुनिया के किनदेशों में सबसे ज्यादा होती है. ऐसा बुनियादी सवालों के जवाब भी क्लास नौ और दस के बच्चों के पास नहीं थे.
बिहार सरकार क्लास नौ और दस में पढ़ने वाले बच्चों को साइकिल देती है. पिछले डेढ़ दशक से शुरू इस योजना से लाखों छात्र और छात्राओं लाभान्वित हुए, लेकिन इस स्कूल के छात्रों को इसका लाभ नहीं दिखता है. स्कूल कैंपस में टीचर्स की खड़ी बाइक तो दिख रही है लेकिन छात्र और छात्राओं की साइकिल नहीं है. पूछने पर बताया कि, खाते में पैसे नहीं आए लिहाजा साइकिल नहीं ली. छात्र और छात्राएं दूर से यहां पैदल ही पढ़ने के लिए आते हैं. साथ ही क्लास नौ और दस के बच्चों का सामना प्रायोगिक कक्षाओं से होता है. रसायन,भौतिकी और जीव विज्ञान में प्रैक्टिक्ल क्लास का होना जरूरी है, लेकिन राजकीयकृत नवीन आदर्श उच्च विद्यालय के पास जो प्रैक्टिकल के उपकरण थे वे एक आलमीरा में बंद थे. स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य ने बताया कि, कमरे नहीं है इसलिए पैक्टिकल क्लास नहीं चलते हैं.
इनपुट- प्रीतम कुमार