हरियाणा में रैली से बिहार में उबाल, CM नीतीश को निमंत्रण पर उठे सवाल
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar982431

हरियाणा में रैली से बिहार में उबाल, CM नीतीश को निमंत्रण पर उठे सवाल

बिहार (Bihar) की सियासत में इन दिनों हरियाणा का असर दिखने लगा है. 25 सितंबर को हरियाणा के जींद में होने वाली एक रैली ने बिहार में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है.

हरियाणा में रैली से बिहार में उबाल (फाइल फोटो)

Patna: बिहार (Bihar) की सियासत में इन दिनों हरियाणा का असर दिखने लगा है. 25 सितंबर को हरियाणा के जींद में होने वाली एक रैली ने बिहार में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. आशंकाओं के घिरे बादलों के बीच कयासों का बाज़ार भी गर्म है. नीतीश कुमार के NDA में रहने या नहीं रहने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं.

दरअसल, हरियाणा के जींद में होने वाली रैली इंडियन नेशनल लोकदल के नेता ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala) ने बुलाई है. इस रैली से पहले जो संदेश दिया जा रहा है, उस संदेश से ही सारे सवाल उठे हैं. इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ से बार-बार इस बात का जिक्र हो रहा है कि 'इस रैली के माध्यम से गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी दलों को एक साथ एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है.' इनेलो के इसी बयान से सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार गैर-भाजपाई गठजोड़ का हिस्सा बनेंगे?

'24' से पहले नई सियासी सुगबुगाहट 

25 सितंबर को इस देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती है. इस मौके पर उनके बेटे और इंडियन नेशनल लोकदल के नेता ओमप्रकाश चौटाला ने एक रैली का आयोजन किया है. इस रैली में शामिल होने के लिए समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav), जनता दल सेक्युलर नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, JDU नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar), तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ​जैसे दिग्गजों को निमंत्रण भेजा गया है.

इनमें से कई नेताओं ने रैली में शामिल होने पर सहमति भी दे दी है. रैली के आयोजन से देश के सियासी भविष्य को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ही इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि देश में फिर से तीसरा मोर्चा खड़ा होने जा रहा है. इस बात का इशारा खुद इनेलो नेता और ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला ने किया है. चौटाला ने ये साफ किया है कि रैली के जरिए देश के गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है.

जाहिर सी बात है कि ये प्रयास सियासी मकसद से ही किया जा रहा है. इसके जरिए तीसरे मोर्चे की संभावित ताकत का अनुमान लगाने की कोशिश है. लेकिन सवाल इस बात पर है कि नीतीश कुमार जब बिहार में BJP के सहयोग से सरकार चला रहे हैं और खुद मुख्यमंत्री हैं तो फिर ऐसी किसी रैली का हिस्सा क्यों बनने जा रहे हैं जिसमें NDA से अलग कोई मोर्चा बनाने की बात हो रही है?

इनेलो की रैली में शामिल होंगे CM नीतीश

ओम प्रकाश चौटाला का निमंत्रण स्वीकार कर नीतीश कुमार ने बिहार में सियासी बहस तो जरूर छेड़ दी है. हालांकि JDU के नेता ये दलील दे रहे हैं कि 'चौधरी देवीलाल से लेकर ओमप्रकाश चौटाला तक से नीतीश कुमार के बेहद मधुर संबंध रहे हैं. पारिवारिक संबंधों की वजह से नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में जा रहे हैं और इसके जरिए चौधरी देवीलाल को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.'

JDU की सहयोगी BJP ने भी नीतीश कुमार के इस रैली में जाने को सियासी चश्मे से देखने से इनकार किया है. BJP का भी कहना है कि 'राजनीति में व्यक्तिगत रिश्ते भी होते हैं. अगर नीतीश कुमार के चौटाला परिवार से पुराने रिश्ते हैं तो इस कार्यक्रम में जाने में कोई बुराई नहीं है. चौधरी देवीलाल की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ है, इसको सियासत से जोड़कर देखना ठीक नहीं है'.

RJD और कांग्रेस ने नीतीश पर साधा निशाना

जींद में होने वाली रैली में नीतीश कुमार के शामिल होने पर विपक्ष हमलावर है. विपक्ष इसे BJP के लिए चिंता की बात कहकर तंज कस रहा है. मुख्य विपक्षी दल RJD हो या फिर कांग्रेस, दोनों ही दल JDU की किसी भी दलील को सिरे से नकार रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि 'जब नीतीश कुमार NDA का हिस्सा हैं तो ऐसी रैली में BJP के विरोधियों के साथ मंच कैसे साझा कर सकते हैं? 2024 से पहले ही नीतीश कुमार BJP के खिलाफ बनने वाले धड़े में शामिल होकर BJP को झटका देने की तैयारी में हैं. JDU ने पिछले दिनों नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर इसके संकेत भी दे दिए थे.'

'थर्ड फ्रंट' में कितना 'करंट'?

लंबे समय से देश की सियासत में इस बात पर बहस होती रही है कि क्या कांग्रेस और बीजेपी से अलग कोई तीसरी सियासी ताकत हो सकती है? क्या देश में ऐसा कोई धड़ा बन सकता है, जो कांग्रेस या उससे जुड़े दलों के गठबंधन और BJP या उससे जुड़े दलों के गठबंधन से अलग हो? इन सवालों का जवाब कई दशकों से ढूंढने की कोशिश हो रही है और जवाब हमेशा नकारात्मक ही मिले हैं. क्योंकि तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद हर बार धरी की धरी रह गई.

ऐसे में इस बार भी पूरे देश की नजरें 25 सितंबर को होने वाली रैली पर टिकी रहेंगी. इनेलो की इस रैली में तीसरा मोर्चा आकार लेता है या नहीं, ये देखने वाली बात होगी. और इससे भी बड़ा सवाल कि नीतीश कुमार तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करेंगे?

 

p>

 

Trending news