Bihar Daroga Result: कभी समाज की प्रताड़ना झेलती थी मधु, आज बिहार में बनी पहली ट्रांसजेंडर दारोगा
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Bihar Daroga Result: कभी समाज की प्रताड़ना झेलती थी मधु, आज बिहार में बनी पहली ट्रांसजेंडर दारोगा

Bihar Daroga Result: मधु कश्यप बिहार की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा के रूप में नियुक्त हुई है. जानकारी के लिए बता दें कि मधु भागलपुर की रहने वाली है. उनके पिता इस दुनिया में नहीं है उनकी माता ने ही पालन पोषण किया है. आज बेटी दारोगा बन गई तो मां भी बहुत खुश है.

Bihar Daroga Result: कभी समाज की प्रताड़ना झेलती थी मधु, आज बिहार की बनी पहली ट्रांसजेंडर दारोगा

Madhu Became First Transgender Daroga: बिहार में दारोगा पद पर बहाली के लिए 1275 उम्मीदवारों में से तीन ट्रांसजेंडर हैं, जिससे बिहार देश का पहला राज्य बन गया है. जहां तीन ट्रांसजेंडर दारोगा के रूप में नियुक्त होंगे. इनमें से एक मानवी मधु कश्यप हैं, जो भागलपुर की रहने वाली हैं. उन्होंने लंबी मेहनत और संघर्ष के बाद यह सफलता पाई है.

गुरु रहमान को दिया कामयाबी का श्रेय

मधु के अनुसार उन्हें समाज की प्रताड़ना के कारण 2014 में अपना घर छोड़ना पड़ा. इसके बाद उन्होंने पटना में दारोगा बनने का सपना पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की. वहां भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि कोई भी उन्हें अपनी कोचिंग में जगह देने के लिए तैयार नहीं था. आखिरकार गुरू रहमान ने उनका हौसला बढ़ाया और उनके साथ-साथ दो अन्य ट्रांसजेंडर को भी दारोगा की परीक्षा पास करने में मदद की. मुध अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरु रहमान को देती हैं. उनका कहना है कि ट्रांसजेंडर का जीवन आसान नहीं होता, लेकिन इन सभी लोगों ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया. मानवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी धन्यवाद किया है. उन्होंने पॉलिटिकल साइंस से बीए ऑनर्स किया है और दारोगा की तैयारी के लिए नियमित रूप से 5 से 6 घंटे पढ़ाई की.

मधु के साथ हमेशा खड़ी रही मां 
मुध के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मां हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं. अब अपनी मां को वर्दी में सलामी देना चाहती हैं. उनका कहना है कि वह दारोगा बनकर अपने समाज के लोगों की सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का काम करेंगी. वह चाहती हैं कि समाज ट्रांसजेंडर को अलग नजरिए से देखना बंद करे, क्योंकि ट्रांसजेंडर भी ईश्वर की ही देन हैं. मधु ने कहा कि समाज में ट्रांसजेंडर के प्रति गलत रवैये को देखकर उनका मन विचलित हो उठता था. अब वह दारोगा बनकर अपने समाज के लोगों को इज्जत दिलाना चाहती हैं और समाज में ट्रांसजेंडर के प्रति लोगों के व्यवहार को बदलना चाहती हैं. उनकी यह सफलता कई अन्य ट्रांसजेंडर के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो समाज में अपने अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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