अश्लील गानों से भोजपुरी की अस्मिता पर सवाल, कलाकारों ने जनता को ठहराया जिम्मेदार
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अश्लील गानों से भोजपुरी की अस्मिता पर सवाल, कलाकारों ने जनता को ठहराया जिम्मेदार

भोजपुरी का जिस तरह से पतन हो रहा है उसको लेकर आम लोगों ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें भोजपुरी से परहेज नहीं है बल्कि भोजपुरी गानों में और वीडियो में जिस तरह से अश्लीलता परोसी जाती है उससे परहेज है.

 

अश्लील गानों से भोजपुरी की अस्मिता पर सवाल. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: भोजपुरी भाषा को हिंदी की सगी बहन कहा जाता है. लेकिन आज भोजपुरी गानों में फैली अश्लीलता की वजह से भोजपुरी फिल्में गर्त की तरफ जा रही हैं. इन गानों और फिल्मों की वजह से इंडस्ट्री के साथ-साथ भोजपुरी संस्कृति और समाज को भी बेहद नुकसान हुआ है. आज स्थिति ये है कि भोजपुरिया लोग ही भोजपुरी सुनने से परहेज करे रहे हैं, कलाकारों का विरोध होने लगा है. भोजपुरी का छोटा कलाकार हो, छोटा गायक हो या बड़े से बड़े स्टार हो सभी अश्लीलता को अपनी ढाल बनाकर तरक्की को देख रहे हैं. जिससे भोजपुरी समाज को नीची नजरों से देखा जाने लगा है. 

पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी जताई चिंता
सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar modi)  ने भी भोजपुरी गानों में बढ़ती अश्लीलता को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. मोदी ने बिहार सरकार से अश्लील गानों पर रोक लगाने की मांग की है साथ ही ऑर्केष्ट्रा में बजने वाले गंदे गानों और भद्दे डांस पर भी रोक लगाने की मांग की है. इसके अलावा शादियों या अन्य समारोहों में होनेवाले हर्ष फायरिंग को लेकर भी सुशील मोदी ने चिंता जताई है. सुशील मोदी का कहना है कि ऐसी मानसिकता से समाज में विकृति फैल रही है.

क्यों हो रहा है भोजपुरी गानों और फिल्मों का पतन
भोजपुरी का जिस तरह से पतन हो रहा है उसको लेकर आम लोगों ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें भोजपुरी से परहेज नहीं है बल्कि भोजपुरी गानों में और वीडियो में जिस तरह से अश्लीलता परोसी जाती है उससे परहेज है. वहीं, भोजपुरी बचाओ अभियान के समाजसेवी और महिलाओं ने कहा कि 'भोजपुरी तो हमारी संस्कृति है, हमारी मिट्टी है. इससे परहेज नहीं किया जा सकता लेकिन भोजपुरी गानों और वीडियो के अंदर जो अश्लीलता दिखाई देती है उसकी वजह से आम जनता के लिए भोजपुरी सुनना बेहद मुश्किल होता जा रहा है.'

दूसरी तरफ पंजाब और उड़ीसा के लोगों का कहना है कि वह भोजपुरी के केवल वही गाने सुनते हैं जिनमें अश्लीलता की झलक नहीं होती. लोगों का कहना है कि भोजपुरी गानों में फैली अश्लीलता ने अपनी संस्कृति और लैंग्वेज को मायूस किया है. भोजपुरी काफी मीठी भाषा है लेकिन यहां फैली अश्लीलता की वजह से इसपर सवाल उठ रहे हैं.
  
दर्शक हैं गंदे गानों के लिए जिम्मेदार!
इधर, इस पूरे मुद्दे पर भोजपुरी के दिग्गज कलाकारों को कहना है कि कुछ लोगों की वजह से भोजपुरी इंडस्ट्री बदनाम हो रही है. भोजपुरी स्टार अरविंद अकेला कल्लू ने कहा कि 'भोजपुरी दर्शक हमेशा तड़क-भड़क वाले गाने ही सुनना पसंद करते हैं लिहाजा गायकों की मजबूरी है कि वो गंदे गानों पर ज्यादा फोकस करते हैं. म्यूजिक कंपनियां भी गंदे गानों को गाने के लिए मजबूर करती हैं.' भोजपुरी फिल्मों के डायरेक्टर बिजेंद्र सिंह तो ये तक मानने को तैयार  नहीं हैं कि भोजपुरी में अश्लीलता है. पूछने पर हिंदी फिल्मों का हवाला देते हैं और कहते हैं कि क्या हिंदी में गंदगी नहीं है?

पुराने कलाकार हो रहे शर्मिंदा
मामले को लेकर पुराने दौर के नामी डायरेक्टर दीप श्रेष्ठ का कहना है कि 'एक दौर था जब भोजपुरी में बॉलीवुड के  बड़े-बड़े दिग्गज गाना गाते थे, फिल्में बनाते थे लेकिन आज भोजपुरी सभ्य समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है.' इसके अलावा अपने दौर के नामचीन कलाकार जैसे देवी, स्मृति सिन्हा, अजीत आनंद, सुदीप पांडे जैसे नामी गायकों और कलाकारों की भी राय है कि भोजपुरी अश्लील हो चुकी है अब उन्हें सोचना पड़ रहा है कि आगे करे तो क्या करें.

लोगों ने सेंसर से की मांग
ऐसे में लोगों ने सरकार पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि भोजपुरी में अगर अश्लीलता है तो जाहिर सी बात है कि सरकार भी इसको लेकर लाचार और लापरवाह है. अगर भोजपुरी एल्बम के लिए सेंसरशिप रहता, सजा का प्रावधान रहता तो गायक कभी गंदे गाने गाने के लिए हिम्मत ही नहीं करते और जो समाज में अश्लीलता फैल रही है वह शायद नहीं फैलती.

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