'माननीयों' के साथ दुर्व्यवहार के मामले में कार्रवाई, दो सिपाहियों पर गिरी गाज
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'माननीयों' के साथ दुर्व्यवहार के मामले में कार्रवाई, दो सिपाहियों पर गिरी गाज

Bihar Samachar: विधायकों के साथ हुई मारपीट के मामले में दो सिपाहियों पर हुई कार्रवाई से विपक्ष संतुष्ट नहीं है. विपक्ष ने इसे लेकर कड़ा ऐतराज जताया है.

दो सिपाहियों पर गिरी गाज. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधायकों के साथ जो मारपीट और धक्का-मुक्की हुई थी, उसकी आंच अब भी तेज है. बजट सत्र के दौरान जो कुछ हुआ था, उसकी तस्वीरें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं. सदन के अंदर से विधायकों को जमीन पर घसीटते हुए लाती पुलिस और विधायकों की पिटाई करते जवानों की तस्वीरें पूरे देश ने देखी थी. उन तस्वीरों ने पूरे लोकतंत्र को शर्मसार कर दिया था. बिहार के संसदीय इतिहास की वो शायद सबसे शर्मनाक तस्वीरें थी.

लेकिन उस घटना के 4 महीने बीतने के बाद, अब उस पर कार्रवाई हुई है. उस पूरे मामले में फिलहाल दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने अभद्रता की और विधायकों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कार्रवाई के बारे में बताया. उन्होंने कहा है, 'जांच में ये पाया गया कि दोनों पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ विधायकों के साथ बुरा बर्ताव किया, बल्कि विधानसभा परिसर के पोर्टिको में विधायकों के साथ गलत तरीके से मारपीट की. शुरुआती तौर पर दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है और आगे जांच अभी जारी है'.

पुलिसकर्मियों पर एक्शन से विपक्ष को ऐतराज, आचार समिति की बैठक में की मांग, 'जिम्मेदार लोगों पर हो कार्रवाई' 
विधायकों के साथ हुई मारपीट के मामले में दो सिपाहियों पर हुई कार्रवाई से विपक्ष संतुष्ट नहीं है. विपक्ष ने इसे लेकर कड़ा ऐतराज जताया है. विपक्ष का कहना है कि 'बजट सत्र के दौरान जो कुछ भी हुआ था, वो लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय है. सरकार के इशारे पर सदन में पुलिस बुलाई गई थी. सरकार के इशारे पर ही विपक्षी विधायकों को बुरी तरह से पीटा गया था. महिला विधायकों के साथ जो हुआ, वो शर्मसार करने वाला था. विपक्षी दलों की महिला विधायकों की साड़ी खींचने की कोशिश हुई. उनके बाल पकड़ कर उन्हें घसीटा गया. ये सब कुछ सदन में मुख्यमंत्री की मौजूदगी के दौरान हुआ. इतनी बड़ी घटना में सिर्फ दो सिपाहियों को सस्पेंड करना सिर्फ मामले की लापीपोती है. सरकार 'आईवॉश' के जरिए मामले को खत्म करने का प्रयास कर रही है.'

विपक्ष ने आरोप लगाया है कि स्पीकर ने भी मुख्यमंत्री के इशारे पर ही पुलिस को बुलाया था. कांग्रेस, वामदल और RJD निलंबन की कार्रवाई से खुश नहीं हैं. सभी विपक्षी दलों की दलील है कि 'जिस दौरान ये घटना हुई, वहां डीजीपी, पटना के डीएम और एसपी भी मौजूद थे. फिर उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? इस मामले में उन जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिनके इशारे पर या जिनके आदेश पर पुलिस ने ये सब कुछ किया.'

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पुलिस पर कार्रवाई का सत्तापक्ष ने किया बचाव, कहा, 'अभी जांच पूरी नहीं हुई है'
दो पुलिसकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई का सत्तापक्ष बचाव कर रहा है. सत्तापक्ष की तरफ से विपक्ष को धैर्य रखने की सलाह दी जा रही है. NDA का कहना है कि 'अभी कार्रवाई पूरी नहीं हुई है. जांच अभी जारी है और जैसे-जैसे दोषियों का पता चलेगा, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. वीडियो फुटेज में ये दोनों सिपाही दोषी पाए गए. इन्होंने विधायकों के साथ दुर्व्यवहार किया था, जो किसी को स्वीकार्य नहीं है. बाकी फुटेज देखने के बाद अभी और भी बातें स्पष्ट होंगी.'

सत्तापक्ष सिर्फ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की ही बात नहीं कह रहा है. NDA के घटक दलों का ये भी कहना है कि ये तो अभी एक तरफ की कार्रवाई है, दूसरा पक्ष तो अभी बाकी है. सदन की आचार समिति के समक्ष पूरा मामला है. समिति अभी बजट सत्र के दौरान विधायकों के भी व्यवहार की जांच कर रही है. जांच के बाद समिति की रिपोर्ट के आधार पर भी कार्रवाई होगी. जिन विधायकों ने भी गलत आचरण किया होगा, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. सिर्फ पुलिसिया कार्रवाई को ही गलत नहीं ठहराया जा सकता. पुलिस क्यों बुलानी पड़ी, इसके पीछे का कारण भी शर्मनाक ही था. विपक्ष के विधायकों ने भी सदन और आसन की गरिमा को तार-तार कर दिया था. बजट सत्र के दौरान विपक्षी सदस्यों ने लोकतंत्र का चीरहरण किया. इसलिए उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए'.

सोमवार, 26 जुलाई से बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरु होने जा रहा है. लेकिन विपक्ष उससे पहले बजट सत्र की घटना पर कार्रवाई की मांग कर रहा था. ऐसे में अब शुरुआती कार्रवाई कर दी गई है. एक्सपर्ट्स भी इसे मामले को 'लीपापोती' ही मान रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'इतनी बड़ी घटना को सिपाही अंजाम नहीं दे सकते. ये हास्यास्पद लगता है कि पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई कर मामले को खत्म कर दिया जाए. विधायकों के साथ जो कुछ भी किया गया, वो कोई सामान्य घटना नहीं थी. उसके लिए बहुत ऊपर के स्तर से आदेश होता है. इसलिए बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.'

भले ही सत्तापक्ष अपना बचाव कर रहा है और जांच पूरी न होने का हवाला दे रहा है, लेकिन विपक्ष भी इस मुद्दे को छोड़ने को तैयार नहीं है. ऐसे में ये मामला फिलहाल ठंडा होता नजर नहीं आ रहा है.

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