कुढ़नी में हार को नीतीश-तेजस्वी के गठबंधन के खिलाफ जनादेश के तौर पर लेना भूल होगी?
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कुढ़नी में हार को नीतीश-तेजस्वी के गठबंधन के खिलाफ जनादेश के तौर पर लेना भूल होगी?

कुढ़नी विधानसभा सीट पर महागठबंधन की हार को बीजेपी के नेता तेजस्वी और नीतीश कुमार के मिलन के खिलाफ जनादेश बता रहे हैं लेकिन इस सीट को बारीकी से देखेंगे तो कई और बातें पता चलेंगी. 

कुढ़नी में हार को नीतीश-तेजस्वी के गठबंधन के खिलाफ जनादेश के तौर पर लेना भूल होगी?

Kurhani: कुढ़नी विधानसभा सीट पर महागठबंधन की हार को बीजेपी के नेता तेजस्वी और नीतीश कुमार के मिलन के खिलाफ जनादेश बता रहे हैं लेकिन इस सीट को बारीकी से देखेंगे तो कई और बातें पता चलेंगी. कुढ़नी विधानसभा सीट पर इसलिए उपचुनाव कराने पड़े क्योंकि सिटिंग विधायक अनिल सहनी को फर्जी यात्रा भत्ते मामले में अयोग्य करार दे दिया गया था. बीजेपी ने यहां केदार प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतारा था. पिछली बार इस सीट से आरजेडी के अनिल सहनी उम्मीदवार थे, लेकिन गठबंधन बनने के बाद इस बार ये सीट जेडीयू के मनोज कुशवाहा को दी गई थी. 

ये बात समझनी होगी कि यहां की जनता ने कभी यहां एक दल पर भरोसा नहीं किया. यहां लगातार परिवर्तन होते रहे हैं. 2020 में अनिल सहनी ने इस बार जीतने वाले केदार प्रसाद गुप्ता को महज 712 मतों से हराया था. और उससे पहले 2015 में केदार ने मनोज कुशवाहा को 11 हजार मतों से हराया था. 

शराबबंदी रहा है बड़ा मुद्दा

इस सीट पर दलित बहुजन की अच्छी तादाद है. वही जीत हार तय करते हैं. कहा जा रहा है कि यहां शराबबंदी बड़ा मुद्दा थी. पुरुष वोटर शराबबंदी से खफा थे. इसकी भी दो वजहें हैं. एक तो ये कि उन्हें शराब से जुड़े केस झेलने पड़ रहे हैं और दूसरा ये कि ताड़ी की बिक्री पर रोक है. तो इसके कारोबार से जुड़े लोगों पर मुकदमे हो रहे हैं. उधर महिलाओं की शिकायत है कि भले ही शराब पर आधिकारिक रूप से रोक है लेकिन अवैध शराब की दिक्कत बनी हुई है. महिलाओं ने तो यहां नीतीश की सभा में आकर अपना विरोध जताया था. याद रखिए कि शराब पर जब कानून का शिकंजा कसता है तो गरीब और वंचित ज्यादा परेशानी में आता है.

लेकिन ये सब अंदाजे हैं. पक्के तौर पर कोई नहीं कह सकता कि वोटर के मन में क्या चल रहा था. लेकिन अगर आप इस पर नजर डालें कि किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं तो समझ में आता है कि शायद महागठबंधन के उम्मीदवारों को वोट बंटने का खामियाजा उठाना पड़ा है. 

जानें कितने मिलें हैं उम्मीदवारों को वोट  

बीजेपी उम्मीदवार ने करीब साढ़े तीन हजार वोट से जीत दर्ज की है. चुनाव आयोग के फाइनल आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी प्रत्याशी को मिले वोट हैं -76648.  जेडीयू के प्रत्याशी को 73016 वोट मिले हैं. लेकिन अगर आप मान कर चलें कि मुसलमान वोटर ने AIMIM को वोट किया होगा तो जरा उनके प्रत्याशी का वोट देखिए. उनके प्रत्याशी को वोट मिले हैं 3 हजार से कुछ ज्यादा. उधर VIP के नीलाभ कुमार को भी 10 हजार के करीब वोट मिले हैं. दो छोटी पार्टियों और 5 निर्दलीयों के वोट भी मिला लें तो उन्हें मिले हैं 11224 वोट. 

वोटों के बंटवारे ने भी डाला है परिणाम पर असर

एक निर्दलीय उम्मीदवार जो कुशवाहा समाज से आते हैं उन्हें करीब 4 हजार वोट मिले हैं. निदर्लीय  उम्मीदवारों को मैदान में उतारना कई बार बड़े दलों की चाल होती है. कौन जाने इन निर्दलीयों के पीछे किसका हाथ था? जाहिर है जिस सीट पर साढ़े तीन हजार वोट से जीत और हार तय हुई हो वहां निर्दलीयों को 11 हजार से ज्यादा वोट मिलना बहुत अधिक है. अगर वोटों का ये बंटवारा नहीं होता तो शायद नतीजे कुछ और  होते. ऐसे में कुढ़नी उपचुनाव नतीजे को नीतीश-तेजस्वी के गठबंधन खिलाफ जनादेश बताना भ्रम हो सकता है.

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