राम हैं विष्णु के अवतार, इसलिए अयोध्या में मूर्ति के लिए चुना गया खास पत्थर
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राम हैं विष्णु के अवतार, इसलिए अयोध्या में मूर्ति के लिए चुना गया खास पत्थर

इस शिला को लेकर जानकारों का कहना है कि इस पत्थर से मूर्ति बनाने पर 2000 वर्ष तक मूर्ति को कुछ नहीं होगा. तिरुपति बालाजी मंदिर, बद्रीनाथ धाम के मंदिर को इसी पत्थर से बना है. 

शालिग्राम पत्थरों को शास्त्रों में विष्णु का स्वरूप माना जाता है.

मधुबनी: नेपाल के पोखरा के गंडकी नदी से दो विशालकाय शालिग्राम शिलाएं निकालकर जनकपुर मां सीता के धाम और भगवान राम के ससुराल लाया गया. वहां भारत, नेपाल और श्रीलंका तीनों देशों के लोगो ने दोनों शिलाओं की पूजा अर्चना की.  पूजा अर्चना के बाद जनकपुर मंदिर से शिलाओं को भारत के अयोधया के लिए आज (सोमवार) सुबह  रवाना किया गया. 

बता दें कि, शालिग्राम पत्थरों को शास्त्रों में विष्णु का स्वरूप माना जाता है. वैष्णव शालिग्राम भगवान की पूजा करते हैं. यह पूरा पत्थर शालिग्राम है. इसे अधिकतर नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है. हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है और नेपाल के लोग इन पत्थरों को खोज कर निकालते हैं और उसकी पूजा करते हैं. 

वहीं, भगवान राम की बात करें तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ लेकिन उनका ससुराल जनकपुर नेपाल में था. यही कारण है कि जनकपुर में जिस तरह से बेटी को विदा किया जाता है, दमाद को विदा किया जाता है और विदाई के समय कई उपहार दिए जाते हैं उसी तरह जनकपुर से इस शिला की विदाई की गई है. ढेर सारे उपहार भगवान राम के लिए भेज रहे हैं.

इस शिला को पूजा करने श्रीलंका निवासी और सार्क के सेक्रेटरी जनरल एसाला वेराकून ने भी अपनी पत्नी के साथ पहुंचे. साथ ही, नेपाल के पूर्व मंत्री वर्तमान मंत्री और स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस शिला का पूजा पाठ किया. इस शिला को स्पर्श करने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ मंदिर में थी और सभी लोग पूजा अर्चना कर रहे थे.

वहीं, इस शिला को लेकर जानकारों का कहना है कि इस पत्थर से मूर्ति बनाने पर 2000 वर्ष तक मूर्ति को कुछ नहीं होगा. तिरुपति बालाजी मंदिर, बद्रीनाथ धाम के मंदिर को इसी पत्थर से बना है. बता दें कि भगवान राम को त्रेता युग में जो दहेज मिला था वही देज इस शिला को भी दिया गया है जिसमें धोती, दही और कई अन्य सामान शामिल है.

मां जानकी के गर्भ गृह के बाहर मंदिर परिसर में लोगों का कहना था कि बड़ी सौभाग्य की बात है कि नेपाल से आज शिला जा रही है. भगवान राम और सीता जी की मूर्ति बनाने के लिए इस शिला का बहुत महत्वपूर्ण है. हम लोग बहुत ज्यादा खुश हैं. यहां तक कि नेपाल की महिलाएं अपने को मां सीता की बहन मानती है और भगवान राम को दमाद. जिसके कारण बहनों महिलाओं ने राम और सीता के लिए कई गीत गाए. साथ ही, भगवान राम को बहनोई के रूप में गाली भी सुनाई. वहीं, जब मधुबनी के जटहि बॉर्डर पर भारत में जब शीला का प्रवेश हुआ तो भव्य स्वागत किया गया. 

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