Mithila Festival Date Remembering Formula: राज्य बिहार की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाली मिथिला कई मायनों में देश भर में विख्यात है. ये जगह और यहां के लोग न सिर्फ अपनी मातृभाषा मैथिली के लिए जाने जाते हैं, जिसे दुनिया का सबसे मधुर भाषा भी कहा जाता है. बल्कि अपनी संस्कृति, सभ्यता, विचार, आचरण और भोजन के लिए विश्व भर में प्रतिष्ठित है. यही नहीं, मिथिला में त्योहारों को याद रखने का तरीका भी काफी अनोखा है. मिथिला के लोग त्योहार तारीख याद रखने के लिए एक ऐसा फॉर्म्युला तैयार किए बैठे हैं, जिससे उन्हें किसी कैलेंडर की जरूरत नहीं पड़ती है.
बिहार का मिथिला ही वो पावन भूमि है जहां जनक दुलारी माता सीता का जन्म हुआ था और जो प्रभु राम का ससुराल है. यहां के लोगों के लिए माता सीता बेटी और भगवान राम दामाद के समान है.
आप में से बहुत लोग त्योहार तारीख याद रखने के लिए समय-समय पर कैलेंडर को देखते होंगे, लेकिन मिथिला के लोग अपने दिमाग में ही एक ऐसा फॉर्म्युला फिट करके बैठे हैं, जिससे उन्हें किसी त्योहार और विशेष दिन के लिए कैलेंडर देखने की जरूरत नहीं पड़ती है.
चलिए हम आपको दुनिया के सबसे यूनिक फॉर्म्युला के बारे में बताते हैं, जिससे दिमाग में ही त्योहार तारीख फिट रहता है. इस फॉर्म्युला को जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे.
वो है जन्माष्टमी के बारहे चौरचन, चौरचन के बारहे अनंत, अनंत के आठे जितिया, जितिया के आठे कलश स्थापना, कलश स्थापना के पन्द्रहे कोजगरा, कोजगरा के पन्द्रहे दिवाली, दिवाली के छबे छठि, तकरे छबे कोठी में धान, तकरे छबे लबान.
इस अनोखे फॉर्म्युला का अर्थ है कि जन्माष्टमी के बारहवें दिन चौरचन (गणेश चतुर्थी), चौरचन के बारहवें दिन अनंत चतुर्दशी, अनंत चतुर्दशी के आठवें दिन जितिया, जितिया के आठवें दिन कलश स्थापना (नवरात्र), कलश स्थापना के पन्द्रहवें दिन कोजागरा, कोजागरा के पन्द्रहवें दिन दिवाली (लक्ष्मी पूजा), दिवाली के छबे छठि, तकरे छबे कोठी में धान (कटाई शुरू), तकरे छबे लबान यानी नवान्न का त्योहार.
ट्रेन्डिंग फोटोज़