जेडीयू में अशोक चौधरी चुनावी मैनेजमेंट में भी अहम भूमिका निभाते हैं. अकसर वे क्षेत्र का भ्रमण करते दिखते हैं और गांव स्तर के नेताओं में भी पैठ बनाते हैं. उनके इस कदम से पार्टी का संगठन मजबूत होता है.
शिक्षा की बात करें तो डॉ. अशोक चौधरी मगध यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ले चुके हैं. इसके अलावा पटना यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमए किया है. वे पूर्व मंत्री महावीर चौधरी के सुपुत्र हैं.
पार्टी में डॉ. अशोक चौधरी की कितनी हनक है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जेडीयू के तत्कालीन अध्यक्ष ललन सिंह से भिड़ गए थे.
मंझे हुए राजनेता की तरह अशोक चौधरी ने खुद को बिहार की राजनीति में स्थापित किया है. अशोक चौधरी की इसी काबिलियत के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कायल हैं.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने वाले अशोक चौधरी को पार्टी चलाने का पूरा अनुभव है और गठबंधन की बारिकियों की भी समझ रखते हैं.
2018 में 1 मार्च को अशोक चौधरी ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए जेडीयू का दामन थाम लिया था. उसके बाद से अशोक चौधरी नीतीश कुमार की हर सरकार में मंत्री बनते रहे हैं.
अशोक चौधरी कांग्रेस के 4 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे थे और वे महादलित समुदाय से आते हैं. जेडीयू में आने से पहले वे कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिने जाते थे.
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