Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन के कई विधायकों को अपने साथ मिलाकर बीजेपी अब सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई है. जिसके बाद अब जेडीयू भी उसे बड़े भाई की भूमिका में स्वीकार करने को तैयार हो गई है.
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Bihar Politics: 'अबकी बार, 400 पार...' के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी ने इस बार बिहार की सभी 40 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. नीतीश कुमार की वापसी के साथ बीजेपी को अपना लक्ष्य कामयाब होता भी दिख रहा है. हालांकि, इसमें सहयोगियों का साथ भी चाहिए. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को ना सिर्फ बिहार की सत्ता में वापसी का मौका मिला, बल्कि महागठबंधन के कई विधायकों को अपने साथ मिलाकर भगवा पार्टी अब सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई है. बीजेपी के ऑपरेशन लोटस की सफलता को देखते हुए अब जेडीयू भी हथियार डालते हुए नजर आ रही है और बड़े भाई की भूमिका में बीजेपी को स्वीकार कर रही है. वैसे बड़े भाई की भूमिका तो बीजेपी को 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में ही हासिल हो गई थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें बीजेपी को मिली थीं. नीतीश कुमार का कद तो यहीं पर छोटा हो गया था. हालांकि, बीजेपी ने इसके बाद भी नीतीश को ही सीएम बनाया था. जेडीयू को कम सीटें मिलने के लिए नीतश ने बीजेपी को दोषी ठहराते हुए महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. लेकिन दोबारा से एनडीए में वापसी करने के बाद अब बीजेपी को बड़े भाई की भूमिका में स्वीकार करने लगे हैं. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटों पर बीजेपी लड़ेगी. बता दें कि जेडीयू अब तक बिहार में बीजेपी के बड़े भाई की भूमिका में होती थी. सीट बंटवारे में भी यह दिखता रहा है. नीतीश कहते रहे हैं कि हम बिहार की राजनीति करेंगे, बीजेपी केंद्र की राजनीति करे.
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बड़े और छोटे भाई की भूमिका में बदलाव एक-दो साल में नहीं, बल्कि 20 साल में हुआ है. कुछ चुनावों में बीजेपी को जेडीयू से ज्यादा सीटें भी मिलीं. इसके बावजूद नीतीश ने बीजेपी को छोटा भाई ही माना. लेकिन 2014 के बाद से प्रदेश में बीजेपी का ग्रॉफ बड़ी तेजी से ऊपर चढ़ा है. नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतीश ने बीजेपी से नाता तोड़कर अकेले चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी को 22 सीटें मिली तो जेडीयू को सिर्फ 2 सीटें ही हासिल हुई थीं. इसके बाद 2015 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार ने लालू यादव की राजद के साथ मिलकर लड़ा था.
जदयू-राजद-कांग्रेस के महागठबंधन को 126 सीटें मिली थीं. इसमें जदयू की 71 और राजद की 80 सीटें थीं. वहीं बीजेपी को 53 सीटें मिलीं थीं. नीतीश को जल्द ही बीजेपी से दोस्ती करनी पड़ी थी. 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों फिर से मिलकर लड़े और एनडीए ने 40 में से 39 सीटें हासिल की थीं. 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने एक बार फिर से बीजेपी को कम सीटें दीं, लेकिन जब नतीजे आए तो एनडीए में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी से सिर्फ एक सीट ज्यादा राजद को हासिल हुई थी.