Lok Sabha Election 2024: लालू यादव ने आने नहीं दिया या राहुल गांधी की प्राथमिकता में बिहार है ही नहीं, 7 चरण के चुनाव में कांग्रेस की केवल 1 रैली
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Lok Sabha Election 2024: लालू यादव ने आने नहीं दिया या राहुल गांधी की प्राथमिकता में बिहार है ही नहीं, 7 चरण के चुनाव में कांग्रेस की केवल 1 रैली

Bihar Lok Sabha Election 2024: विशेषज्ञों का तो ये भी कहना है कि राजद अध्यक्ष लालू यादव ने ही राहुल गांधी के बिहार आने पर रोक लगा रखी है. उनका कहना है कि लालू नहीं चाहते कि तेजस्वी के भविष्य में कोई बाधक बने.

राहुल गांधी-लालू यादव

Bihar Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच चुका है. पांच चरणों के वोटर्स अपना फैसला EVM में दर्ज करा चुके हैं. वहीं 25 जून को 6वें चरण की वोटिंग होगी और सातवें चरण के लिए रस्साकशी शुरू हो चुकी है. एनडीए की ओर से जहां स्टार प्रचारकों की पूरी फौज उतरी हुई है. इस बार क्लीन स्वीप का लक्ष्य लेकर एनडीए में शामिल हर दल के नेता अपना पूरा जोर लगाने में जुटे हैं. खुद पीएम मोदी इसकी अगुवाई कर रहे हैं. वहीं महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव अकेले पड़ते नजर आए. उनको सिर्फ वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी का साथ मिला है. कांग्रेस और वामदलों के नेता तो नजर ही नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हों या पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों भागलपुर छोड़कर पूरे चुनाव से नदारद रहे. कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के इस तरह से गायब रहने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. 

विशेषज्ञों का तो ये भी कहना है कि राजद अध्यक्ष लालू यादव ने ही राहुल गांधी के बिहार आने पर रोक लगा रखी है. उनका कहना है कि लालू नहीं चाहते कि तेजस्वी के भविष्य में कोई बाधक बने. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बिहार में एनडीए के लिए अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा पाना बड़ी चुनौती है. तमाम ओपिनियन पोल में भी एनडीए को कुछ सीटों का नुकसान होता दिख रहा है. हालांकि, महागठबंधन को कोई खास सफलता भी नहीं मिलने वाली. ऐसे में महागठबंधन को जितनी भी सीटें मिलेंगी, उसके लिए तेजस्वी को क्रेडिट दिया जाएगा. जबकि अगर महागठबंधन के सभी साथी प्रचार करते तो क्रेडिट कांग्रेस पार्टी लूट लेती और राहुल गांधी को दे देती. 

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दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि बिहार में कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. कांग्रेस का वोटर ही नहीं खिसका, उसके पास नेताओं तक का अभाव हो गया है. सीट शेयरिंग से लेकर टिकट वितरण तक में पार्टी की मजबूरी साफ नजर आई है. 2020 में हुए लोकसभा चुनाव में तेजस्वी को कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा करना भारी पड़ गया. 70 सीटों पर लड़कर कांग्रेस सिर्फ 19 सीटें ही जीत सकी थी. तभी से राजद और कांग्रेस की दोस्ती मजबूरी वाली हो गई थी. बिहार में तेजस्वी की नजरों में राहुल गांधी से मुकेश सहनी बड़े नेता हैं. यही वजह है कि वह उन्हें अपने साथ हर जगह लेकर जा रहे हैं. दोनों मिलकर तेजस्वी यादव ने चुनावी जनसभाओं का दोहरा शतक जड़ दिया है. उन्होंने हवा में केक काटकर इस कामयाबी का जश्न मनाया था. 

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