अब सुशील कुमार मोदी का क्या होगा फ्यूचर? मार्गदर्शक मंडल के हिस्सा तो नहीं बन जाएंगे
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अब सुशील कुमार मोदी का क्या होगा फ्यूचर? मार्गदर्शक मंडल के हिस्सा तो नहीं बन जाएंगे

Bihar News: एनडीए को 2005 में बहुमत मिला तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के सौजन्य से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए पर सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा. सुशील कुमार मोदी पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने नीतीश कुमार के डिप्टी की भूमिका तो अच्छे से निभाई लेकिन इस दौरान भाजपा के उत्थान को वे भूलते चले गए. 

फाइल फोटो -  सुशील कुमार मोदी

पटना : बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी को बड़ा झटका लगा है. राज्यसभा में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें दोबारा नहीं भेजा जा रहा है. इससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद भी सुशील कुमार मोदी को बड़ा झटका लगा था, जब उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया था. सुशील कुमार मोदी के बदले भाजपा के 2 डिप्टी सीएम बनाए गए थे. एक थे तारकिशोर प्रसाद और दूसरे रेणु देवी. अब जबकि सुशील कुमार मोदी का कार्यकाल खत्म हो गया है और बिहार से राज्यसभा के जो दो उम्मीदवार बनाए गए हैं, उनमें धर्मशीला गुप्ता और भीम सिंह हैं, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सुशील कुमार मोदी का राजनीतिक भविष्य क्या हो सकता है. क्या पार्टी ने उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल में डालने का फैसला कर लिया है?

5 जनवरी 1951 को पैदा हुए सुशील कुमार मोदी का राजनीतिक जीवन लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के साथ ही शुरू हुआ था पर वे इन दोनों नेताओं की तरह भाग्यशाली नहीं रहे. लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने बिहार पर 15 साल तक शासन किया और उसके बाद जब नीतीश कुमार को मौका मिला तो वे पिछले 18 साल से, जीतनराम मांझी का कार्यकाल छोड़कर, मुख्यमंत्री हैं और अब तक 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. एक ही कार्यकाल में नीतीश कुमार ने 3 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. 

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सुशील कुमार मोदी की बात करें तो लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में वे भाजपा के नेता विरोधी दल की भूमि​का निभाते रहे. जब एनडीए को 2005 में बहुमत मिला तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के सौजन्य से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए पर सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा. सुशील कुमार मोदी पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने नीतीश कुमार के डिप्टी की भूमिका तो अच्छे से निभाई लेकिन इस दौरान भाजपा के उत्थान को वे भूलते चले गए. 

यही कारण है कि नीतीश कुमार को जब 2020 में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला और भाजपा ने अपनी रणनीति बदलकर तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया तो नीतीश कुमार गाहे बगाहे पार्टी के इस फैसले पर अपनी टीस जाहिर कर देते थे. 2024 में नीतीश कुमार एनडीए के साथ फिर से सरकार बनाने जा रहे थे तो सुशील कुमार मोदी का नाम डिप्टी सीएम के रूप में प्रस्तावित किया गया था पर पार्टी आलाकमान ने उन पर भरोसा नहीं किया और सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के नामों पर मुहर लगा दी. 

दरअसल, 2020 में जब भाजपा आलाकमान ने सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया तब सुशील कुमार मोदी का एक ट्वीट बहुत वायरल हुआ था. सुशील कुमार मोदी ने कहा था, कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता. इससे पहले सुशील कुमार मोदी के केंद्र में मंत्री बनाए जाने की भी अटकलें चल रही थीं, लेकिन माना जा रहा है कि इस एक ट्वीट ने सुशील कुमार मोदी का काम खराब कर दिया था. अब सवाल यह है कि सुशील कुमार मोदी को जब पार्टी ने दोबारा राज्यसभा में नहीं भेजा है तो क्या होगा उनका फ्यूचर. 

माना जा रहा है कि सुशील कुमार मोदी को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है. भाजपा में कार्यकर्ताओं की मेहनत को नजरंदाज नहीं किया जाता और सुशील कुमार मोदी ने तो पूरी उम्र भाजपा की सेवा की है. इसलिए पार्टी उन्हें उनके उम्र को देखते हुए गवर्नर बना सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो संभव है कि सुशील कुमार मोदी को भी मार्गदर्शक मंडल में जाना पड़े. सुशील कुमार मोदी की उम्र को देखते हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें उतारने की संभावना न के बराबर दिखती है.

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