कहा जाता है कि मां मुंडेश्वरी धाम परिसर भगवान शिव का परिवार है. वहां पर मां मुंडेश्वरी पार्वती रूप में है और गणेश भगवान की भी प्रतिभा अंदर में मौजूद है. मां मुंडेश्वरी धाम के पहाड़ी पर चारों तरफ कई खंडित मूर्तियां हैं जिसमें सबसे अधिक भगवान शिव की मूर्ति देखी जा रही है.
पंचमुखी शिवलिंग और मां मुंडेश्वरी के चमत्कार को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग यहां पर आते हैं और वह लोग भी पंचमुखी शिवलिंग के स्वरूप बदलने की बातों को अनुभव करते हैं. मां मुंडेश्वरी धाम श्री यंत्र आकार का अष्ट कोड़िय रूप में है. जिसे पाया गया है.
पंचमुखी शिवलिंग यानी महामंडलेश्वर का सबसे ज्यादा महत्व सावन के दिनों में देखने को मिलता है. जहां कांवरिया जलाभिषेक करते हैं. मंदिर परिसर के द्वारा पंचमुखी शिवलिंग के रुद्राभिषेक का चार्ज भी अंकित कर दिया गया है.
कनाडा से आए हुए अभय तिवारी ने बताया मां मुंडेश्वरी धाम में आए हुए हैं. यहां पर जो पंचमुखी शिवलिंग गर्भगृह में विराजमान है उनका दिन के तीन पहर में स्वरूप बदलता है. ऐसा चमत्कार हम लोगों ने कहीं दूसरी जगह नहीं देखा और मंदिर के ठीक सामने भगवान नंदी भी विराजमान है. ऐसा केदारनाथ में ही देखने को मिलता है.
उत्तर प्रदेश चंदौली के रहने वाले शिक्षक रजनीकांत ने बताया कि हमारे विद्यालय के छात्र और स्टाफ मिलकर 100 लोग मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में दर्शन पूजन करने के लिए आए हैं. यहां आने से बच्चों को अपनी संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलता है और भौगोलिक ज्ञान भी होता है.
मंदिर के प्रधान पुजारी उमेश मिश्रा और मुकेश कुमार ने बताया मंदिर बहुत पुराना है जो अष्ट कोड़िय रूप में है. यह मंदिर कब बना है यह किसी को पता नहीं है बल्कि इसे पाया गया है. मंदिर परिसर के चारों तरफ खंडित शिवलिंग बहुत संख्या में पाए जाते हैं. मां मुंडेश्वरी धाम परिसर शिव जी का पहले मंदिर रहा है. जो देखने से लगता है. यहां शिव परिवार की ही सभी मूर्तियां इस मंदिर में विराजमान है.
धार्मिक न्यास परिषद के अकाउंटेंट गोपाल कृष्ण ने बताया मां मुंडेश्वरी धाम परिसर काफी विख्यात है. ऐसा विश्व में कोई मंदिर नहीं है. यह सबसे अधिक पुराना मंदिर है. यहां मां मुंडेश्वरी परिसर में मौजूद शिवलिंग समय के अनुसार अपना स्वरूप और रंग बदलते हैं. सुबह में कुछ और मुद्रा में भगवान शिव दिखते हैं दोपहर में मुद्रा बदल जाती है और शाम होने पर उनकी मुद्रा बदल जाती है. ऐसा चमत्कार अन्य कहीं जगह पर नहीं होता है.
इनपुट- मुकुल जायसवाल
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