Dhanteras 2022: हिंदू कैलेंडर के हिसाब से कार्तिक मास के 13वें दिन धनतेरस होता है. इससे जुड़ी परंपराएं और मान्यताएं इसे और विशेष बना देती हैं. इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर को पड़ रहा है.
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पटनाः Dhanteras 2022: धनतेरस हिंदू कैलेंडर के हिसाब से कार्तिक मास के 13वें दिन होता है. सोना खरीदने के लिए यह त्यौहार बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर को पड़ रहा है. इस दिन हम कुबेर देवता और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं. इसी दिन हम धनवंतरी जी की भी पूजा अर्चना करते हैं जो की चिकित्सा के देवता माने जाते हैं. धनतेरस शब्द हिंदी के दो शब्दों से मिलकर बना है धन और तेरस. यहां धन का अर्थ समृद्धि से है और तेरस का अर्थ हिंदू महीने का 13वां दिन.
पवित्र समय और दिनों पर सोना खरीदने का चलन है. जैसे कि लोग ऐसा मानते हैं कि धनतेरस पर जब वह सोना खरीदते हैं तो उनकी समृद्धि बढ़ती है. उनका भाग्य उदय होता है और उनके परिवार में सुख शांति आती है. तो चलिए जानते है धनतेरस पर सोना खरीदना क्यो शुभ माना जाता है. 'ज्वैलरी का अनदेखा सत्य' की किताब के जरिए जो 'महेश अरोड़ा', 'अरोड़ा सन्स' द्वारा लिखी गई है.
चंद्र देवता का गहरा प्रभाव
चांदी से चंद्र देवता जुड़े होते हैं इसलिए चंद्र देवता का इस पर गहरा प्रभाव होता है. यह आपके परिवार और आपके जीवन में पवित्रता शांति ठहराव लाती है. सोने के साथ किसी विशेष समय पर चांदी खरीदना आपके जीवन में चमत्कार विलासिता और समृद्धि का प्रतीक है. धनतेरस के दिन आप माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की सोने की या चांदी की प्रतिमा खरीद सकते हैं क्योंकि इसके अगले दिन दिवाली होती है और दिवाली पर हम लक्ष्मी मां का पूजन करते हैं. लक्ष्मी मां सुख समृद्धि और धन की देवी हैं.
12 साल करना पड़ा था माता लक्ष्मी को धरती पर काम
ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी जी धरती पर भ्रमण के लिए आई. मगर उन्होंने भगवान विष्णु की आज्ञा को अनदेखा किया और सांसारिक मोह माया में उलझ गई. उनको सरसों के पीले फूल बहुत ही आकर्षक लग रहे थे और गन्ने के खेत उनको अपनी ओर खींच रहे थे. वह इन सब में इतना तल्लीन हो गई कि वह भगवान विष्णु की आज्ञा को भूल गई. इसके दंड स्वरूप भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि उन्हें 12 साल तक उसी किसान के खेत में काम करना है. जिसमें उन्होंने सरसों के पीले फूल और गन्ने का आनंद लिया था.
किसान के यहां करना पड़ी थी कठिन तपस्या
प्रभु की आज्ञा के फल स्वरुप माता लक्ष्मी ने एक तपस्या के रूप में बहुत कठिन कार्य किया जो कि एक किसान के साथ हर दिन शुरू होता था. उसके खेतों में उन्होंने 12 वर्षों तक कठिन और दुष्कर खेती वाले कार्य किए क्योंकि माता लक्ष्मी स्वयं उसके यहां काम कर रही थी. अतः वह किसान दिन-ब-दिन समृद्ध होता चला गया. जब 12 वर्ष बीत गए तो माता लक्ष्मी वहां से जाने लगी, लेकिन किसान ने उन्हें जाने से मना किया. उसने कहा मैं आपको और धन दूंगा काम करने के लिए अगर आप मुझे छोड़कर ना जाएं.
माता ने किसान को दिया था वचन
किसान के इतने आग्रह को देखकर अंत में माता लक्ष्मी ने उनको कहा कि मैं महालक्ष्मी हूं. अब किसान को पता लग गया कि वह किसी भी प्रलोभन से माता लक्ष्मी को अपने पास कार्य करने के लिए नहीं रोक सकता, परंतु किसान के इतने आग्रह और प्रेम के फल स्वरूप माता लक्ष्मी ने उन्हें वचन दिया कि वह साल में धनतेरस के दिन उसके स्थान पर जरूर आएंगी.
इस वजह से लोग हर साल मनाने लगे धनतेरस
माता लक्ष्मी ने किसान को निर्देश दिया कि उस दिन पूरे घर को साफ करें. घर को दीए की रोशनी से रोशन करें, जिससे उन्हें और उसका घर ढूंढने में कोई परेशानी ना हो और वह आसानी से वहां आ सके. इस अनुष्ठान की वजह से किसान बहुत ज्यादा समृद्ध हो गया. जब अन्य लोगों को इस बात का पता चला तो उन्होंने भी अपने घर की साफ सफाई और रोशनी का इंतजाम धनतेरस के दिन करना शुरू कर दिया. तभी से यह अनुष्ठान लगातार मनाया जा रहा है. इस तरीके से लोग हर साल धनतेरस का त्यौहार मनाते हैं.
सोना खरीदने से आती है समृद्धि
इस अनुष्ठान की वजह से लोग अपना घर साफ करते हैं और अपने घरों को दिए की रोशनी से प्रकाशित करते हैं. जिससे मां लक्ष्मी को उनके घर का पता चल सके. आज भी लोग इस दिन सोने के सिक्के और आभूषण खरीदना बहुत ही पवित्र और भाग्यशाली मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि आप यदि नया सोना खरीदते हो तो, वह मां लक्ष्मी के रूप में आपके घर में आता है और आपको समृद्धि प्रदान करता है. अतः धनतेरस के दिन 3 सोने को अवश्य खरीदना चाहिए.
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