बेगूसराय में नागपंचमी के दिन लगता है सांपों का मेला, खतरनाक खेल देख रह जाएंगे दंग
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बेगूसराय में नागपंचमी के दिन लगता है सांपों का मेला, खतरनाक खेल देख रह जाएंगे दंग

नागपंचमी के बीच इन परंपराओं में बेगूसराय मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में आज भी एक ऐसी ही परंपरा जीवंत है जो अद्भुत ही नहीं बेहद साहसिक भी है और खतरनाक भी. 

(नागपंचमी मेला)

बेगूसराय : देश में मान्यताओं के हिसाब से नागपंचमी के दिन सांपों की पूजा अर्चना की जाती है. नागपंचमी के दिन सर्पों की पूजा का विधान है. ऐसे में सावन महीने के दोनों कृष्ण और शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस त्यौहार को पूरे देश में मनाया जाता है. 

विषैले सांपों को पकड़ने की है परंपरा
ऐसे में नागपंचमी के बीच इन परंपराओं में बेगूसराय मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में आज भी एक ऐसी ही परंपरा जीवंत है जो अद्भुत ही नहीं बेहद साहसिक भी है और खतरनाक भी. नागपंचमी के दिन ताल तलैया नदी पोखर से जहरीले और विषैले सैकड़ों की संख्या में सांप पकड़ने की यह परंपरा बेहद ही खतरनाक और आकर्षक भी है जिसे देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं.  

यहां हर साल लगता है सांपों का मेला
इस अवसर पर आयोजित मेला इलाके ही नहीं बिहार का एक खास मेला होता है जिसे देखने के लिए लोग विभिन्न जगहों से आते हैं. इस संबंध में बताया जाता है की मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में हर साल सांपों का मेला लगता है. यह मेला बिहार के लोगों के लिए खास होता है. आगापुर गांव में आयोजित इस 'सांपों के मेले' में मौजूद लोग जहरीले सांपों से जरा भी नहीं डरते हैं और उनके साथ-साथ खिलौने की तरह खेलते हैं. 

1981 में यहां स्थापित हुआ भगवती स्थान 
इस दौरान पोखर से पुजारी सैकड़ों सांपों को पानी से निकालते हैं और इन विषैले सांपों को हाथों में लेकर प्रदर्शन करते हैं. जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं. गांव के लोग बताते हैं कि 1981 में यहां भगवती स्थान की स्थापना की गई थी. जिसके बाद से गांव में अमन और शांति कायम हुई. कभी भी कोई अनहोनी नहीं हुई. इसी दौरान नागपंचमी के दिन गांव के भगत के द्वारा सांप पकड़ने की परंपरा की शुरुआत भी हुई थी. धीरे-धीरे ये परम्परा आगे बढ़ती गई और बाद में ये इलाके का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बन गया.

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बताया जाता है कि विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगत गांव में स्थित पोखर में आते हैं और पोखर से सैकड़ों विषैले सांपों को निकालने का काम करते हैं. जैसे सांप न हो बल्कि कोई खिलौना हो. सांप को देखते और नाम सुनते ही जहां लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वहीं सांपों के साथ खेलने की यह परंपरा चमत्कार है या फिर कुछ और यह जांच का विषय है. हालांकि इतने बरसों से लगने वाले इस मेले की सच्चाई लोग आज तक पता नहीं कर पाए. लोग इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर देखते हैं. 

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