Bihar News: बेगूसराय के गोताखोरों का हुआ बुरा हाल, 7 महीने से नहीं मिला वेतन
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Bihar News: बेगूसराय के गोताखोरों का हुआ बुरा हाल, 7 महीने से नहीं मिला वेतन

जिला प्रशासन के निर्देश पर बरौनी प्रखंड के अंचलाधिकारी ने स्थानीय स्तर पर 11 गोताखोरों की नियुक्ति की थी. गोताखोरों ने बताया कि उसे दैनिक मजदूरी के तहत 400 रुपये देने का प्रावधान है. पिछले 10 वर्षों से यह गोताखोर लोगों की जिंदगी बचाते आ रहे हैं.

(फाइल फोटो)

Begusarai: बिहार के बेगूसराय में नदियों में डूबने वाले लोगों की जान बचाने वाले गोताखोरों को पिछले सात महीने से वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण गोताखोरों के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गई है. इस प्रकार के हालातों के बाद भी गोताखोर अपने काम में लगे हुए हैं. 

7 महीनों से नहीं मिला वेतन
दरअसल बेगूसराय जिले में सिमरिया, झमटिया सहित विभिन्न गंगा घाटों को धार्मिक दृष्टिकोण से अग्रणी माना गया है. खासकर सिमरिया और झमटिया में रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं. खास दिनों के अलावा सामान्य दिनों में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान करने पहुंचते हैं. अक्सर स्नान के दौरान लोग नदियों में डूब जाते हैं. नदी में डूबते हुए लोगों को बचाने का काम डीडीआरएफ की टीम के द्वारा किया जाता है. लेकिन हालातों को देखा जाए तो पिछले 7 महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है. जिससे कि अब यह खुद भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भूखे रहते हुए गोताखोर लोगों की जिंदगी कैसे बचाएंगे. 

प्रति दिन की 400 रुपये मजदूरी का था प्रावधान
दरअसल जिला प्रशासन के निर्देश पर बरौनी प्रखंड के अंचलाधिकारी ने स्थानीय स्तर पर 11 गोताखोरों की नियुक्ति की थी. गोताखोरों ने बताया कि उसे दैनिक मजदूरी के तहत 400 रुपये देने का प्रावधान है. पिछले 10 वर्षों से यह गोताखोर लोगों की जिंदगी बचाते आ रहे हैं. शुरुआत में सब कुछ ठीक-ठाक था और जिला प्रशासन की ओर से उन्हें नियमित वेतन का भुगतान किया जा रहा था. लेकिन हाल के दिनों में जिला प्रशासन ने उनकी ओर से मुंह मोड़ना प्रारंभ कर दिया. 

बनाई जाती है 22 दिनों की हाजिरी
गोताखोरों को पिछले 7 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा गोताखोरों का आरोप है पूरे महीने काम लेने के बाद में उनका सिर्फ 22 दिनों की हाजिरी बनाई जाती है. जिससे कि उनकी आर्थिक स्थिति पर और भी ज्यादा असर पड़ रहा है. गोताखोरों की शिकायत है कि बोट को चलाने के लिए उन्हें पर्याप्त रूप से ईंधन भी नहीं दिया जाता है.  जिससे की काम करने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गोताखोरों ने जल्द से जल्द जिला प्रशासन से अपने लंबित सैलरी के भुगतान करने की अपील की है.

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