Bihar News: बिहार के दरभंगा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिस सुनकर हर कोई हैरान है. दरअसल एक जमीन को पूर्वजों ने वक्फ को दान में दिया था. वहीं अब उसी जमीन का सौदा उसके नातियों कर दिया है.
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दरभंगा: वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए जब मोदी सरकार सदन में बिल लेकर आई तो देश में वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर नई बहस छिड़ गई. अभी यह बिल संयुक्त संसदीय समिति के पास है और इसपर विचार-विमर्श किया जा रहा है. इसी बीच दरभंगा में वक्फ की संपत्ति का हवाला देकर दो पक्ष आमने सामने हो गए है. दरभंगा में वक्फ की जमीन को उनके नातियों के द्वारा ही बेचने का मामला सामने आया है. यह मामला दरभंगा जिले के हनुमान नगर अंचल के तालपुपरी मौजे का है. अब पूर्वजों द्वारा वक्फ को दी गई संपत्ति को वक्फ को वापसी को लेकर परिजन हाजी मो महबूब आलम अधिकारी से गुहार लगा रहे है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 1921 में ही उनके परदादा स्वर्गीय एलाही बख्श ने वक्फ अल औलाद को यह जमीन वक्फ किया था. लेकिन उनके नातियों ने अधिकारियों की मिलीभगत से इसे बेच डाला. इस बीच भू माफिया मस्जिद की जमीन को नापने के लिए पहुंच गए और उनके ऊपर हमला कर दिया. उनके साथ गाली गलौज, मारपीट की गई. लेकिन पुलिस के पहुंचने के कारण बाल बाल बच गए. इधर जमीन बेचने वाले ने दावा किया कि हमारे पूर्वजों और उनकी बहन ने 1948 में रजिस्ट्री कर दिया. इधर डीएम राजीव रौशन ने कहा कि इस बारे में परिवादी से शिकायत मिली है. साथ ही परिवादी उनसे मिले हैं. लेकिन वक्फ बोर्ड के वेबसाइट पर उक्त संपत्ति दर्ज नहीं है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के आदेश में उक्त जमीन को वक्फ की संपत्ति नहीं बताया गया है. इसके बाद उस जमीन की रजिस्ट्री हुई है. अगर वक्फ बोर्ड के द्वारा संशोधित आदेश में उक्त जमीन को वक्फ की बताई जाती है तो उस आलोक में करवाई होगी.
इस मामले में स्वर्गीय इलाही बख्श के परपोते हाजी मो महबूब आलम ने कहा कि मेरे परदादा ने 1921 में जमीन का 16 आना वक्फ अल औलाद कर दिया. इसमें करीब 22 एकड़ 29 डिसमिल जमीन है. वक्फ का मतलब है कि इस जमीन पर हम घर बनाकर रह सकते है,या ऊपजा कर सकते है,बेच नहीं सकते है. लेकिन इसमें से 14 एकड़ जमीन लिखाई गई है. जबकि वक्फ अल औलाद की भूमि के रूप में कई दस्तावेज हमारे पास है. अधिकारियों की मिलीभगत से इसे बेच दिया गया.
इलाही बख्श के वंशज ने कहा कि जब हमारे परदादा हासिम खां के नाम केवाला कर दिए वक्फनामा कर दिए,तो उनके नातियों का इस जमीन पर कोई अधिकार नहीं बनता है. लेकिन फुलवरिया एवं औंसी के रहने वाले उनके नातियों ने इस जमीन को बेच दिया. सौ डेढ सौ साल बाद वे आते है और जमीन भू माफिया को कर देते है. अब भू माफिया से हम लोगों के जान का खतरा है. हम चाहते हैं कि हमें न्याय मिले और जमीन वक्फ बोर्ड को वापस हो. कुछ भू माफिया 6 दिसंबर को मस्जिद की जमीन को भी नापने आ गए थे. जब हम नमाज पढ़ने जा रहे थे,तो हम पर भी हमला हुआ. हमारे साथ मारपीट हुई और जान से मारने की धमकी दी गई. तो हमने पुलिस को कॉल किया जिसके बाद वे लोग भाग खड़े हुए। हम पढ़ने लिखने वाले लोग हैं.
वहीं इस मामले में डीएम राजीव रोशन ने कहा कि इस बारे में शिकायत प्राप्त हुई है. कुछ लोग मिलने के लिए भी आए थे. इस संदर्भ में ऑफिशियल कागजात का अवलोकन किया गया है. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा इस संदर्भ में निर्देशित है कि जो भी वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, उसका हस्तांतरण अवैध है. साथ ही संपत्ति का ब्योरा वेबसाइट पर भी डाला गया है. कार्यालय के द्वारा बताया गया कि जो प्रश्नगत भूमि है वह वेबसाइट पर दर्ज नहीं है. इसके अलावा बिहार का जो वक्फ बोर्ड है उसके अध्यक्ष के द्वारा एक आदेश पारित किया गया है कि जो प्रश्नगत भूमि है वह वक्फ बोर्ड की जमीन के रूप में रजिस्टर्ड नहीं है. इस बारे में परिवादी के द्वारा वक्फ बोर्ड के लोगों से भी संपर्क किया गया है.
इनपुट- मुकेश कुमार
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