इंजीनियर को पीट-पीटकर मार डाला, पहचान छिपाने के लिए कुचल दिया चेहरा
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इंजीनियर को पीट-पीटकर मार डाला, पहचान छिपाने के लिए कुचल दिया चेहरा

बिहार में लगातार बढ़ते जा रहे अपराध के ग्राफ ने पुलिस के काम करने के तरीके और दावे की पोल खोल दी है. बता दें कि हत्या, लूट, रंगदारी, बलात्कार, चोरी, डकैती जैसी घटनाएं यहां आम हो गई है मानो प्रशासन का डर अपराधियों के मन से खत्म हो गया हो.

(फाइल फोटो)

Bihar Crime: बिहार में लगातार बढ़ते जा रहे अपराध के ग्राफ ने पुलिस के काम करने के तरीके और दावे की पोल खोल दी है. बता दें कि हत्या, लूट, रंगदारी, बलात्कार, चोरी, डकैती जैसी घटनाएं यहां आम हो गई है मानो प्रशासन का डर अपराधियों के मन से खत्म हो गया हो. बिहार के आरा में एक इंजीनियर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इसके बाद उस इंजीनियर की पहचान छुपाने के लिए दरिंदे अपराधियों ने उसका चेहरा भी पत्थर से कुचल दिया. 

बता दें कि यह घटना आरा के नवादा थाना क्षेत्र के बाजार समिति कोल्ड स्टोर में घटी है. जहां शुक्रवार की देर शाम शव मिला. इसके बाद इसकी सूचना मिलने पर नवादा थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया.

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पत्थर से पूरी तरह कुच दिए गए शव के चेहरे को किसी तरह पहचाना गया को पता चला कि यह शव तरारी थाना क्षेत्र के मिश्रकर्मा गांव निवासी विकास मिश्रा का है. बॉडी पर पूरी तरह से खरोंच के निशान भी दिख रहे थे. विकास मिश्रा के बारे में बताया जा रहा है कि वह बिहार पुलिस का आवेदन करने के लिए अपने कागजातों के साथ आरा के लिए सोमवार को निकला था. वह वहीं से दिल्ली भी रवाना होनेवाला था. मंगलवार को उसने अपने परिजन से बात भी की थी. उसके बाद उसने गुरुवार को फोन कर बताया कि उसमे आवेदन कर दिया है और दिल्ली का टिकट भी कटवा लिया है. इसके बाद उसके मौत की सूचना ही घर वालों को आई. 

आपको बता दें कि मृतक विकास मिश्रा के पिता हरि शंकर दयाल की मानें तो उनका विवाद कुछ लोगों से दो खेतों को लेकर चल रहा था और 8 महीने पहले भी इस वजह से मारपीट हुई थी. जिसमें विकास का हाथ टूट गया था. तब इसको लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. इसी मामले को पुलिस थाने से खत्म करवाने को लेकर उनपर दबाव बनाया जा रहा था. पुलिस अब इस पूरे मामले की जांच में लग गई है. 

विकास मिश्रा के परिजनों ने गाव के ही दो लोग पर उसकी हत्या का आरोप लगाया है. बता दें कि विकास दिल्ली में ही एक निजी कंपनी में नौकरी करता था. वह लगभग चार महीने बाद दिल्ली से अपने गांव आया था.   

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