Chhapra Blast: पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. एफएसएल की टीम को भी जांच के लिए लगाया गया है. बम कितना शक्तिशाली था, यह फोरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा.
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Chhapra Blast Case: बिहार के छपरा जिले के गड़खा थाना इलाके में हुए बम धमाके में मौलाना इमामुद्दीन की मौत हो गई है, जबकि 15 साल का नूर आलम अभी भी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है. दरअसल, बुधवार (15 मई) की शाम को मोतीराजपुर के मदरसा के पास एक जोरदार धमाका हुआ था. मदरसा परिसर में धमाके की आवाज सुनकर पूरे इलाके में दहशत मच गई थी. इस घटना में ओल्हनपुर गांव निवासी मौलाना इमामुद्दीन के साथ मुजफ्फरपुर का रहने वाला 15 साल का बच्चा नूर आलम घायल हो गया था. मौलाना इमामुद्दीन की इलाज के दौरान मौत हो गई है, जबकि नूर आलम अभी भी अस्पताल में भर्ती है. नूर आलम इस मदरसा में रहकर पढ़ाई कर रहा था. अब इस बम ब्लास्ट को लेकर अलग-अलग कहानी सामने आ रही हैं.
शुरू में कहा गया कि मदरसा से कुछ दूर पर झाड़ियों में एक बम पड़ा था. मदरसा में पढ़ने वाले बच्चे उसे अपने साथ उठा लाए थे. मौलाना को दिखाने के दौरान ही बम फट गया और ये हादसा हो गया. वहीं एक अन्य कहानी के अनुसार, कोई कुत्ता कहीं से पॉलीधीन में लिपटा बम उठा लाया था. इमामुद्दीन के परिजनों की माने तो घटना में घायल लड़का कुत्ते को टहलाने के लिए मदरसा के समीप नहर पर गया था, जहां से कुत्ता उसकी पकड़ से निकल कर भाग गया था. जिसके बाद वापस मदरसा लौटने के दौरान में रास्ते मे गेंद जैसी गोल चीज मिलने पर उसे लेकर मदरसा लौटा और उसे इमामुद्दीन को दिखाया. बम देखते ही मौलाना ने उसे फेंकने की कोशिश की और विस्फोट हो गया. इस हादसे में दोनों घायल हो गए.
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कुछ लोग इसे गैस सिलेंडर का ब्लास्ट भी बता रहे थे. वहीं कुछ स्थानीय लोगों के मुताबिक, ये धमाका पटाखा बनाते समय विस्फोट की वजह से हुआ. लोगों ने बताया कि मदरसा के पास पटाखा बनाते समय विस्फोट हुआ, जिसके बाद दो लोग बुरी तरह से घायल हो गए. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. एफएसएल की टीम को भी जांच के लिए लगाया गया है. बम कितना शक्तिशाली था, यह फोरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा.