Chatra News: प्रतापपुर में बनेगा 30 करोड़ का पुल, लकड़ी वाले से मिलेगी निजात
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Chatra News: प्रतापपुर में बनेगा 30 करोड़ का पुल, लकड़ी वाले से मिलेगी निजात

Chatra News: झारखंड के चतरा जिले के प्रतापपुर प्रखंड के जोगियारा पंचायत के बरहे गांव की तस्वीर अब बदलने वाली है. गांव में सड़क के साथ नदी पर पुल निर्माण का कार्य भी जल्द कराया जाएगा. 

प्रतापपुर में बनेगा 30 करोड़ का पुल, लकड़ी वाले से मिलेगी निजात

Chatra News: मूलभूत सुविधाओं से महरूम झारखंड के चतरा जिले का प्रतापपुर प्रखंड के जोगियारा पंचायत के बरहे गांव की तस्वीर अब बदलने वाली है. गांव में सड़क के साथ-साथ नदी पर पुल निर्माण का कार्य भी जल्द कराया जाएगा. दरअसल गांव की समस्या को लेकर ज़ी मीडिया में खबर चलने के बाद जिला प्रशासन एक्शन में है. खबर प्रकाशन के बाद डीडीसी अमरेंद्र कुमार सिन्हा ने बरहे गांव में बनाए गए लकड़ी के पुल के स्थान पर पक्का पुल निर्माण कार्य शुरू कराने के उद्देश्य से कार्यपालक अभियंता ग्रामीण विकास कार्य प्रमंडल को स्थल निरीक्षण करने का निर्देश दिया है.

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30 करोड़ की लागत से पुल का कराया जाएगा निर्माण 
इतना ही नहीं डीडीसी के आदेश के बाद अधिकारियों की टीम ने स्थल का निरीक्षण कार्य पूर्ण कर लिया है. डीडीसी ने स्थल निरीक्षण करने गए इंजीनियर को डीपीआर बनाने का आदेश दिया है. डीडीसी ने बताया कि बरहे गांव की नदी पर मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना की 30 करोड़ की राशि से पुल का निर्माण कराया जाएगा. 

पगडंडियों के सहारे आवागमन करते हैं लोग 
आपको बताते चलें कि इस गांव में विकास की किरण तक नहीं पहुंच पाई है. स्थिति ऐसी है कि इस गांव के लोग आज भी सड़क के अभाव में पगडंडियों से आवागमन करते हैं और नदी में पुल नहीं रहने से इलाज के लिए बीमार मरीजों को डोली खटोली पर लादकर लकड़ी के बने पूल के सहारे प्रतापपुर स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. वहीं, बरसात के दिनों में पक्का पुल नहीं होने के चलते बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं.

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इलाज के अभाव में कईयों की मौत 
नदी में बाढ़ आने पर कई ग्रामीणों की मौत इलाज के अभाव में हो गई है. परंतु लकड़ी का पुल बनाये जाने के बाद खाट के सहारे ही मरीज को प्रतापपुर ले जाया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि विकास के नाम पर इस गांव में चार चापानल और दो जलमीनार लगाए गए हैं, लेकिन चार में दो चापाकल वर्षों से खराब है.

वहीं, दो जलमिनार में एक जलमीनार में ठेकेदार द्वारा बोरिंग ही नहीं कराया गया और उसकी राशि को डकार लिया. ग्रामीण बताते हैं कि नेता विधायक यहां आते हैं. आश्वासन देकर वोट मांगते हैं, जीतकर जाते हैं फिर 5 साल लौटकर नहीं आते हैं.

इनपुट - धर्मेंद्र पाठक 

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