छेदी पासवान ने कहा कि 'नीतीश कुमार को हर हाल में सिर्फ कुर्सी चाहिए. कुर्सी के लिए वो किसी के साथ भी समझौता कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर वो दाऊद इब्राहिम के साथ भी जुड़ सकते हैं.
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पटना: बिहार में पहले से ही विवादों और टकराव में उलझा NDA अब और भी ज्यादा बुरे हालात में है. गठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दलों की लड़ाई खत्म होने की बजाए और बढ़ती जा रही है. JDU और BJP के नेता वार-पलटवार में अब सारी हदें पार करने को तैयार हैं. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्पी BJP की दिख रही है. BJP के नेता जिस अंदाज में और जिस भाषा में JDU पर हमलावर हैं, वो समझने के लिए काफी है कि दाल में कुछ तो काला है. ऐसा लग रहा है मानो 'कमल' ने बिहार में 'तीर' के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजा दिया है.
सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती रही बीजेपी
अभी तक परोक्ष रूप से हमलावर रही BJP अब खुलकर मैदान में उतर गई है. BJP के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने कई बार अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए, कानून-व्यवस्था को लेकर भला-बुरा कहा, शराबबंदी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. यहां तक कि संजय जायसवाल ने बिहार के विकास के पैमाने पर पिछड़ने का कारण सरकार की गलत नीतियों को बताया. लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी उन्होंने एक मर्यादा बचा रखी थी. उन्होंने कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का नाम नहीं लिया, सिर्फ सरकार को कोसते रहे.
सीएम नीतीश कुमार पर बोला हमला
लेकिन अब वो मर्यादा भी टूट गई है. BJP की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला गया है. इस जुबानी हमले में सारी हदें पार हो गईं और BJP का शीर्ष नेतृत्व इस पर चुप्पी साध गया. ये अपने आप में गंभीर बात थी. क्योंकि BJP के एक सांसद ने जो कुछ कहा, वो सीएम पद पर बैठे व्यक्ति के लिए शोभनीय तो नहीं कहा जा सकता.
दाऊद के नाम पर गठबंधन कुर्बान?
JDU पर लगातार हमलावर BJP की तरफ से इस बार सांसद छेदी पासवान ने मोर्चा संभाला. उन्होंने एक के बाद एक कड़ी टिप्पणियां कर नीतीश कुमार पर हमला बोला. छेदी पासवान ने जब बोलना शुरू किया तो सारी मर्यादाएं तार-तार हो गईं. ऐसा लगा ही नहीं कि एक सहयोगी दल का नेता अपनी ही सरकार के मुखिया को लेकर बयान दे रहा हो. BJP सांसद ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.
'दाऊद इब्राहिम से हाथ मिला सकते हैं नीतीश'
छेदी पासवान ने कहा कि 'नीतीश कुमार को हर हाल में सिर्फ कुर्सी चाहिए. कुर्सी के लिए वो किसी के साथ भी समझौता कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर वो दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) के साथ भी जुड़ सकते हैं. अपनी कुर्सी बचाने के लिए वो ब्लैकमेलिंग करते हैं. BJP को इशारों में धमकाया जाता है कि अगर कोई परेशानी हुई तो वो RJD के साथ चले जाएंगे. अगर JDU को RJD के साथ जाना है तो जाए.'
'बिहार में नहीं हो रहा विकास'
छेदी पासवान ने बिहार में शराबबंदी को सिर्फ ढोंग और ढकोसला करार दिया. उन्होंने कहा कि 'बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग भी JDU का पॉलिटिकल स्टंट है. सिर्फ BJP पर दबाव बनाकर सीएम की कुर्सी बचाने के लिए विशेष दर्जे की मांग को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. गठबंधन में धमकी और ब्लैकमेलिंग से काम नहीं चलता है. सच्चाई तो ये है कि केन्द्र की हर तरह की मदद के बाद भी बिहार का विकास नहीं हो रहा है.'
सीएम नीतीश कुमार पर सारी विवादित टिप्पणियां करने के बाद भी छेदी पासवान नहीं रुके. उन्होंने कुछ ऐसे बयान भी दिए, जिससे लोगों के मन में उठ रहे सवालों के जवाब भी मिल गए. ये सवाल सबके मन में उठ रहे हैं कि आखिर BJP के नेता अचानक से सीएम पर या JDU पर इतने हमलावर क्यों हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि BJP अब सीएम पद पर अपना कब्जा चाहती है? इन सवालों के जवाब छेदी पासवान के बयानों में मिलता प्रतीत हो रहा है.
'सीएम बदल देना चाहिए'
छेदी पासवान ने बिहार में सीएम की कुर्सी को लेकर कहा कि 'अगर BJP और JDU में गठबंधन है तो सीएम पद के लिए ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला होना चाहिए. ढाई साल अगर नीतीश कुमार सीएम रहते हैं तो ढाई साल के लिए BJP को सीएम की कुर्सी मिले. आखिर हमने बड़ा दल होते हुए भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया है. लेकिन बिहार में आज BJP के सांसद और विधायकों की नहीं सुनी जाती है. मुझे लगता है BJP नेतृत्व ने नीतीश कुमार को सीएम बनाकर गलत फैसला कर लिया है. पार्टी नेतृत्व को इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है. ढाई साल पूरे होते ही मुख्यमंत्री बदल देना चाहिए.'
बिहार में होगा सत्ता परिवर्तन?
छेदी पासवान के इस नए सियासी फॉर्मूले से बिहार की राजनीति में सुगबुगाहट तेज हो गई है. अब कयास लगने लगे हैं कि सत्ता में बड़ा परिवर्तन होने वाला है. या तो मुख्यमंत्री कोई और बनने वाला है, या फिर सरकार खतरे में आ सकती है. दोनों सहयोगी दलों में जिस तरह की कड़वाहट दिख रही है, उससे तो सरकार के बचने के आसार कम ही नजर आते हैं. हालांकि एक सवाल फिर भी रह जाता है कि अगर NDA गठबंधन बिखरता है तो फिर अगली सरकार किसकी होगी? महागठबंधन के पास भी सरकार बनाने लायक संख्या नहीं है. तो क्या नीतीश कुमार महागठबंधन में जा सकते हैं? क्या महागठबंधन में नीतीश कुमार को फिर से सीएम बनाने की सहमति बनेगी? क्या बिहार विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से सबसे बड़ा दल RJD तेजस्वी यादव को छोड़कर नीतीश कुमार को सीएम स्वीकार करेगा?
ये वो सवाल हैं जिनका जवाब आसान नहीं है. ये सच है कि सियासत में कुछ भी संभव है, लेकिन वर्तमान हालात तो ऐसे नहीं दिख रहे कि नीतीश कुमार को महागठबंधन में इतनी आसानी से एंट्री मिलेगी. ऐसे में BJP नेतृत्व को तुरंत अपने सहयोगी के साथ रिश्तों को सामान्य करना होगा.
अगर उपरोक्त में से कोई भी संभावना धरातल पर नहीं बनती है, तो सबसे महत्वपूर्ण और गंभीर सवाल खड़ा होता है कि क्या बिहार मध्यावधि चुनाव की तरफ जा रहा है?